सीमा पर चल रहा है ‘बालों की तस्करी’ का कारोबार

चीन की साजिश, बाल खरीद-फरोख्त का गोरख धंधा
सीमा पर चल रहा है ‘बालों की तस्करी’ का कारोबार
Published on

कोलकाता : बंगाल की रेशमी, घुंघराले काले बालों की चमक अब चीन तक पहुंच चुकी है। इस सौंदर्य के पीछे एक गहरी साजिश भी पनप रही है। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल से बालों की गुप्त तस्करी कर उन्हें चीन तक पहुंचाने का काम एक संगठित गिरोह कर रहा है। इस अवैध व्यापार से न केवल भारत सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में भी सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गयी है।

कैसे चल रहा है यह कारोबार

मिदनापुर, पूर्व मिदनापुर और आसपास के जिलों से बड़ी मात्रा में बाल इकट्ठा किये जाते हैं। एजेंटों के लोग मोहल्लों और गांवों में घूम-घूमकर महिलाओं से बाल खरीदते हैं। कोई अपने कटे बाल बेच देता है, तो कोई कंघी में फंसे बाल भी बचाकर रखता है, इन सबका वजन करके खरीदा जाता है। पहले यही बाल साफ करके सीधे चीन को निर्यात किए जाते थे लेकिन कई बार गुणवत्ता को लेकर चीनी कंपनियां असंतुष्ट होतीं, सौदे रद्द हो जाते और विवाद खड़े होते। इस बीच, भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते सुधरने के बाद चीनी कंपनियों ने अपना रास्ता बदल लिया।

सीमाओं पर सख्ती

इस बढ़ती तस्करी को रोकने के लिए अब डीआरआई, कस्टम्स विभाग और अन्य खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। सीमांत इलाकों में बीएसएफ को निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, बंगाल-बांग्लादेश की सीमा के अलावा, पूर्वोत्तर भारत से म्यांमार होते हुए भी चीन तक बालों की तस्करी की जा रही है। पुलिस ने इन नेटवर्कों की पहचान शुरू कर दी है।

एक किलो बाल पर 4 हजार रुपये  

शहर और गांवों में बहुत से लोग इस कारोबार से अनजाने में जुड़ रहे हैं। कोई कुछ रुपये के लालच में अपने बाल बेच देता है, तो कोई रोजमर्रा में झड़ने वाले बाल भी बेच देता है। ये बाल ही बाद में चीनी बाजार में लाखों की कीमत पाते हैं। एक किलो उच्च गुणवत्ता वाले बालों की कीमत चार हजार रुपये तक बतायी जा रही है। सरकार के लिए यह मामला अब सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा पार अपराध का कारण भी बन चुका है। एजेंसियों का दावा है कि आने वाले दिनों में इस 'बाल तस्करी सिंडिकेट' पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in