पहाड़ी चालकों का टाइगर हिल बायकॉट, पर्यटक परेशान

समाधान नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी, पर्यटन व परिवहन संगठनों ने बैठक कर गठन किया एक संयुक्त मंच, पर्यटन के इस चरम मौसम के दौरान पर्यटकों को परेशानियों का करना पड़ सकता है सामना करना पड़ सकता
taxi drivers wait for passengers
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सिलीगुड़ी : पहाड़–मैदानी वाहन चालकों की समस्या सुलझने का नाम नहीं ले रही है। तय समय-सीमा के भीतर प्रशासन द्वारा मांगें पूरी नहीं किए जाने से नाराज़ होकर पहाड़ के सभी वाहन चालक संगठनों ने शुक्रवार से टाइगर हिल के बहिष्कार का आह्वान किया है। इस स्थिति में पर्यटन के चरम मौसम के दौरान पर्यटकों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि जानकारी मिली है कि मैदानी इलाकों की गाड़ियां पर्यटकों को लेकर टाइगर हिल जाएंगी। सिर्फ बहिष्कार ही नहीं, बल्कि मांगें पूरी नहीं होने पर पहाड़ के परिवहन संगठनों ने आगे चलकर अपने परिवारों के साथ सड़कों पर उतरकर आंदोलन और अनशन करने की चेतावनी भी दी है।

इस बीच पहाड़–मैदानी चालकों की समस्या को लेकर मैदानी क्षेत्र के पर्यटन और परिवहन संगठन भी एकजुट होने लगे हैं। इस बीच, शुक्रवार को सिलीगुड़ी, जयगांव, तराई और डुआर्स के सभी पर्यटन एवं परिवहन संगठन बैठक कर एक संयुक्त मंच का गठन किया। इस बढ़ती समस्या पर गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के उपाध्यक्ष राजेश चौहान ने कहा कि इस विषय की जानकारी पत्रकारों के माध्यम से मिली है। पहाड़ के वाहन चालकों से बातचीत कर जल्द समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।

सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव ने भी मामले की जानकारी लेकर आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। पहाड़ के दर्शनीय स्थलों पर मैदानी इलाकों की गाड़ियों के प्रवेश को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। दार्जिलिंग के परिवहन संगठनों के संयुक्त मंच संयुक्त चालक संघ की मांग है कि पहाड़ के पर्यटन स्थलों पर केवल स्थानीय गाड़ियां ही चलें। मैदानी गाड़ियां केवल तय स्थानों तक पर्यटकों को छोड़कर वापस लौट जाएं। इसी मांग को लेकर पहाड़ और मैदानी इलाकों के पर्यटन व परिवहन संगठनों के बीच तनाव बढ़ गया है।

समस्या के समाधान के लिए दोनों पक्ष प्रशासन के पास पहुंचे, लेकिन दार्जिलिंग जिला प्रशासन ने स्पष्ट कहा कि पहाड़ और मैदानी दोनों क्षेत्रों की गाड़ियां सभी जगहों पर चलेंगी। प्रशासन के निर्देशों के बावजूद आरोप है कि पहाड़ के वाहन चालक कई जगहों पर गाड़ियां रोक रहे हैं। साथ ही चालकों को धमकाने और वाहनों में तोड़फोड़ की घटनाओं के आरोप भी सामने आए हैं।

बीते मंगलवार को दार्जिलिंग में संयुक्त चालक संघ ने बैठक कर प्रशासन को 18 दिसंबर तक का समय दिया था। उनकी मुख्य मांग थी कि पहाड़ के पर्यटन स्थलों पर केवल स्थानीय गाड़ियां चलें। लेकिन प्रशासन ने इस समय-सीमा को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद गुरुवार शाम को दार्जिलिंग में फिर बैठक आयोजित की गई।

बैठक के बाद संगठन के नेता पासांग शेरपा ने कहा कि हमने प्रशासन को समय दिया था, लेकिन उस अवधि में न तो जीटीए ने कोई बैठक बुलाई और न ही हमें कोई आश्वासन दिया। इससे सभी निराश हैं। इसी कारण शुक्रवार से टाइगर हिल का बहिष्कार किया जा रहा है। पहाड़ की कोई भी गाड़ी पर्यटकों को लेकर टाइगर हिल नहीं जाएगी। पर्यटकों को होने वाली असुविधा के लिए हम पहले ही क्षमा मांगते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कुछ दिन और इंतजार किया जाएगा। इसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो केवल चालक या मालिक ही नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

जरूरत पड़ी तो अनशन भी किया जाएगा। पासांग शेरपा ने आरोप लगाया कि जीटीए के मुख्य कार्यकारी अनीत थापा ने पूरे मामले के समाधान की जिम्मेदारी उपाध्यक्ष राजेश चौहान को दी थी, लेकिन उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। वहीं, राजेश चौहान का कहना है कि बातचीत के जरिए समस्या सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है।

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