अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट

पूर्व मिदनापुर के कोलाघाट में स्थित कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट
पूर्व मिदनापुर के कोलाघाट में स्थित कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट
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कोलाघाट : सोमवार को शालबनी में जिंदल समूह के दो 800 मेगावाट ताप विद्युत संयंत्रों की आधारशिला रखने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि इससे यहां करीब पंद्रह हजार नौकरियां पैदा होंगी। वहीं वहां से प्रायः 90 किलोमीटर दूर पूर्व मिदनापुर के कोलाघाट स्थित कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट किसी तरह से अपने अस्तित्व को बचाए हुए है। वहां पर छह में से दो इकाइयों ध्वस्त कर दी गई हैं साथ ही साथ कथित रूप से संयंत्र कर्मियों की कमी से जूझ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्पादन में गिरावट के कारण यहां लंबे समय से भर्तियां रुकी हुई हैं। श्रमिकों की कमी के कारण थर्मल पावर प्लांट में एक के बाद एक आवास इकाइयां धीरे-धीरे खाली होती जा रही हैं। बिजली उपभोक्ता संगठन बिजली उद्योग के निजीकरण के खिलाफ मुखर हैं। मालूम हो कि 1984 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने एशिया के सबसे बड़े कोलाघाट थर्मल पावर स्टेशन का उद्घाटन किया था। पहले तीन इकाईयों ने काम शुरु हुआ दूसरे चरण की तीन और इकाइयां 1992 में चालू की गईं। 210 मेगावाट बिजली क्षमता वाली छह इकाइयों ने प्रतिदिन 1,260 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरु किया। इतनी मात्रा में बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन लगभग 12,000 मीट्रिक टन कोयले की आवश्यकता थी। कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट के श्रमिकों के लिए सरकार द्वारा कई आवास इकाइयाँ बनाई गईं। परिणामस्वरूप, इस क्षेत्र में कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट उपनगर विकसित किया गया। यहां बिजली पैदा करने की लागत बहुत अधिक है क्योंकि इस थर्मल पावर प्लांट की पुरानी प्रौद्योगिकी इकाइयों का आधुनिकीकरण नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, कोलाघाट अन्य ताप विद्युत संयंत्रों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सका। इस केंद्र की दो पुरानी इकाइयों को हाल ही में ध्वस्त कर दिया गया। परिणामस्वरूप, इस ताप विद्युत संयंत्र की उत्पादन क्षमता वर्तमान में घटकर 840 मेगावाट रह गई है। लम्बे समय से रोजगार न मिलने के कारण विद्युत संयंत्र को कम संख्या में कर्मचारियों के साथ चलाना पड़ रहा है। कर्मचारियों की कमी के कारण थर्मल पावर प्लांट की कई आवासीय इकाइयां खाली हैं। रखरखाव के अभाव में कई घर ख़राब हो रहे हैं। कुल मिलाकर सरकारी ताप विद्युत संयंत्रों की जीवंतता कम होती जा रही है। संगठन के राज्य सचिव मंडल के सदस्य नारायण चंद्र नायक ने कहा, केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी निजीकरण की ओर बढ़ रही है। कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट की दो इकाइयां बंद कर दी गईं और उन्हें नष्ट कर दिया गया। उन्होने कहा कि निजी उद्यमों द्वारा उत्पादित बिजली की लागत अधिक है। ग्राहकों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। हम चाहते हैं कि सरकार कोलाघाट थर्मल पावर प्लांट के बारे में नए सिरे से सोचे।

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