

कोलकाता : शहरों में तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण हरित क्षेत्र लगातार सिमटते जा रहे हैं। कोलकाता भी इससे अछूता नहीं है। ऊंची-ऊंची इमारतों और कंक्रीट के जंगलों के बीच हरियाली तेजी से कम हो रही है। इस संकट को देखते हुए कोलकाता नगर निगम पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में सक्रिय कदम उठा रहा है। इसके तहत भवन निर्माण संबंधी नियमों में पेड़ लगाने को लेकर अहम बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, कोलकाता नगर निगम ने एक मसौदा प्रस्ताव राज्य के शहरी विकास तथा नगरपालिका विभाग को सौंपा है, जिसमें बिल्डिंग रूल्स 2009 में संशोधन की सिफारिश की गई है। वर्तमान नियमों के अनुसार, 16,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक के फर्श क्षेत्र वाले भवनों में 15 प्रतिशत क्षेत्र में पेड़ लगाना अनिवार्य है। हालांकि, पेड़ लगाने का स्थान स्पष्ट नहीं होने के कारण बिल्डर्स बालकनी, छत या छत के नीचे पौधे लगाकर नियमों का पालन दिखा देते हैं। नए प्रस्ताव में इन कमियों को दूर करने के लिए ‘वर्जिन भूमि’ (अविकसित जमीन) पर ही पेड़ लगाने की अनिवार्यता तय की गई है। यानी अब छत, बालकनी या पेड़ों के ऊपर किसी भी प्रकार की छतरी के नीचे लगाए गए वृक्ष को मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, यदि किसी परियोजना क्षेत्र का 10% या उससे अधिक जल निकाय हो तो केवल जल निकाय के किनारे लगाए गए वृक्षों को वृक्षावरण क्षेत्र माना जाएगा। स्विमिंग पूल को जल निकाय नहीं माना जाएगा।6,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले निर्माण स्थलों के 15% हिस्से को अनिवार्य रूप से हरित क्षेत्र में परिवर्तित करना होगा। साथ ही प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि पेड़ लगाने के साथ-साथ उनके रखरखाव की योजना भी नगर आयुक्त को सौंपना आवश्यक होगा। नियमों के उल्लंघन पर निर्माण पूर्णता प्रमाणपत्र (सीसी) जारी नहीं किया जाएगा।