निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए किराये पर दिये जाएंगे सरकारी अस्पताल

बढ़ेंगी एमबीबीएस सीटें
स्वास्थ्य भवन
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कोलकाता : राज्य सरकार ने राज्य में डॉक्टरों की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग को देखते हुए एक बड़ी पहल की है। सरकार अब निजी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए सरकारी अस्पतालों को किराये पर देने जा रही है। इसका उद्देश्य राज्य में एमबीबीएस की सीटों की संख्या को मौजूदा 5,650 से बढ़ाना है। इस योजना के तहत नगर निगम क्षेत्रों में अस्पताल के बेड का किराया 15,000 रुपये प्रति माह, नगरपालिका क्षेत्रों में 12,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 10,000 रुपये प्रति माह प्रति बेड तय किया गया है। यह शुल्क चौथे वर्ष से दोगुना हो जाएगा और सात वर्षों में तीन गुना तक बढ़ाया जाएगा, यानी नगर निगम क्षेत्र में यह 45,000 रुपये प्रति माह प्रति बेड तक पहुंच जाएगा। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी निजी मेडिकल कॉलेज को 300 बेड का अस्पताल किराए पर दिया जाता है, तो पहले साल का किराया लगभग 5.4 करोड़ रुपये होगा।

सरकार ने पिछले सप्ताह इस योजना के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी किया है। योजना के अंतर्गत, 300-बेड वाले सरकारी अस्पतालों को पांच वर्षों के लिए किराये पर दिया जाएगा, जिसे बाद में अधिकतम 33 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है। राज्य सरकार ने बताया कि कई निजी संस्थाओं ने मेडिकल कॉलेज खोलने की रुचि जताई है, पर उनके पास एनएमसी के मानकों के अनुसार 300-बेड का अस्पताल नहीं है। ऐसे में सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत सहयोग कर रही है। अगर निजी कॉलेज अपना शिक्षण अस्पताल बनाना चाहते हैं, तो वे कम समय के लिए भी सरकारी अस्पतालों का उपयोग कर सकते हैं। मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

इसके अंतर्गत निजी कॉलेजों को 50 प्रतिशत सीटें राज्य कोटे के तहत आरक्षित रखनी होंगी और फीस एनएमसी द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार तय होगी। यदि कोई निजी संस्था एक वर्ष में कॉलेज स्थापित नहीं कर पाती, तो 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि देनी होगी। पात्र आवेदकों का चयन सचिवों की समिति द्वारा तकनीकी और वित्तीय योग्यता के आधार पर किया जाएगा।

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