

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले ही उपचुनाव की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। तृणमूल कांग्रेस के विधायक नासिरुद्दीन अहमद का इस वर्ष 1 फरवरी को निधन हो गया था, जिसके बाद कालीगंज विधानसभा सीट रिक्त हो गई है। निर्वाचन नियमों के तहत 31 जुलाई से पहले इस सीट पर उपचुनाव कराना अनिवार्य है। उपचुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने विशेष मतदाता सूची संशोधन की घोषणा की है। आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 को महत्व देते हुए बूथ लेवल अधिकारियों को संशोधन कार्य के दौरान कैंप में शारीरिक रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही निष्पक्ष उपचुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने 48 अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किया है। अब उपचुनाव के दौरान कुल 309 मतदान केंद्रों पर मतदान होगा।
आयोग सूत्रों के अनुसार, इस उपचुनाव में कालीगंज विधानसभा क्षेत्र में लगभग 15 कंपनियाँ केंद्रीय बलों की तैनाती हो सकती हैं। सीईओ कार्यालय के अनुसार इस वर्ष 6 जनवरी से अब तक कालीगंज विधानसभा सीट के मतदाता सूची में 896 संशोधन किए गए हैं। इस दौरान कुल 328 नाम हटाए गए, जिनमें से 160 मृत मतदाता थे और 17 मतदाताओं के नाम दो बार दर्ज थे। वहीं, 312 नए नाम जोड़े गए हैं, जिनमें 18 वर्ष से ऊपर के नए मतदाता और स्थानांतरित मतदाता शामिल हैं। कुल मतदाताओं की संख्या अब 2,54,878 हो गई है। विशेष मतदाता सूची संशोधन से पहले मंगलवार को राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ नए मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने बैठक की। सभी राजनीतिक दलों ने निष्पक्ष चुनाव और त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने की अपील की।
तृणमूल की ओर से बैठक में विधायक देवाशीष कुमार ने कहा कि बैठक के दौरान पार्टी की ओर से मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की बात रखी गई है। ऐसी कई घटनाएँ सामने आई हैं जहाँ एक ही एपिक नंबर पर एक से अधिक मतदाताओं के नाम दर्ज पाए गए हैं। पार्टी ने ऐसे नामों को चिन्हित कर उन्हें मतदाता सूची से हटाने की मांग की है। भाजपा की ओर से केया घोष ने फर्जी मतदाताओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पहले भी 17 लाख फर्जी मतदाताओं की एपिक नंबर सूची आयोग को सौंपी गई थी। बैठक के दौरान भाजपा ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष मृत मतदाताओं के नाम सूची में बने रहने का मुद्दा भी उठाया। कांग्रेस की ओर से सुभाशीष भट्टाचार्य और आशुतोष चट्टोपाध्याय ने निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की मांग की। वहीं माकपा के कल्लोल मजूमदार ने सवाल उठाया कि जब कालिगंज में चुनाव को लेकर ही अनिश्चितता है, तो अचानक मतदाता सूची का संशोधन क्यों किया जा रहा है?