

प्रयागराज : केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव वी. एल. कंठा राव ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन परियोजना के तहत अयोध्या में सरयू नदी में भारतीय प्रमुख कॉर्प (IMC) मछली के एक लाख बीज डाले।
केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, प्रयागराज के अध्यक्ष डॉक्टर बालासाहेब रामदास चव्हाण ने बताया कि पांच नवंबर को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव वीएल कंठा राव ने गंगा की सहायक नदी सरयू में भारतीय प्रमुख कॉर्प मछली के एक लाख बीज डाले।
उद्देश्य मछलियों की प्रजाति का संरक्षण
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य लुप्तप्राय हो रही मछली की प्रजातियों के संरक्षण एवं पुनर्स्थापन के लिए सरयू नदी में मत्स्य संसाधन को सुदृढ़ करना है। यह मत्स्य संचयन कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन परियोजना के अंतर्गत आरंभ किया गया है।
कॉर्प मछली किसे कहते हैं
कॉर्प मछली साइप्रिनिडे (Cyprinid) परिवार से संबंधित मीठे पानी की मछलियों का एक सामान्य नाम है। ये मुख्य रूप से यूरोप और एशिया की मूल निवासी हैं, लेकिन अब दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी पाई जाती हैं। भारत में, कतला, रोहू और मृगल प्रमुख भारतीय कार्प मछलियाँ मानी जाती हैं, जिनका मत्स्य पालन में आर्थिक महत्व है।
अधिकांश कार्प मछलियों का शरीर बड़ा और मजबूत होता है। इनके ऊपरी जबड़े के कोनों पर मूंछ जैसे संवेदी अंग (जिसे बार्बल्स कहते हैं) होते हैं, जो उन्हें गंदे पानी में भोजन खोजने में मदद करते हैं।
कॉर्प मछली का महत्त्व
दुनिया के कई हिस्सों, विशेष रूप से एशिया और यूरोप में, कार्प को एक खाद्य मछली के रूप में पसंद किया जाता है। वहीं, कुछ अन्य क्षेत्रों, जैसे उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में, इन्हें अक्सर एक आक्रामक प्रजाति माना जाता है क्योंकि ये पानी को गंदा कर देती हैं और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती हैं।