

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 जिलों में कोडीन-आधारित कफ सिरप और नशे के तौर पर इस्तेमाल होने वाली अन्य दवाओं के अवैध भंडारण और बिक्री की जांच के लिए सोमवार को महानिरीक्षक (IG) स्तर के एक अधिकारी की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (SIT) के गठन की घोषणा की।
प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले को ‘बेहद गंभीरता’ से ले रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एक SIT गठित की जा रही है।
प्रसाद ने बताया,जांच के लिए IG स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में SIT गठित की जा रही है। SIT में खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्राधिकरण (FDSA) के अधिकारी भी शामिल होंगे। प्रसाद ने यह भी बताया कि कोडीन-आधारित कफ सिरप के कारण राज्य में एक भी मौत नहीं हुई है।
प्रसाद ने कहा, यह SIT सभी चल रही जांचों की नियमित समीक्षा करेगी, अभियुक्तों से प्राप्त हर सुराग को जोड़ेगी, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई तय करेगी और सभी संबंधित वित्तीय लेनदेन की गहन जांच करेगी।
पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने कहा कि अब तक की जांच में प्रमुख ‘सुपर स्टॉकिस्ट’ के एक नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है जो कथित तौर पर कोडीन-आधारित सिरप के अवैध लेन-देन में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पांच प्रमुख ‘सुपर स्टॉकिस्ट’ की पहचान कर ली गई है।
उनमें से 3वाराणसी से शुभम जायसवाल के पिता भोला जायसवाल, सहारनपुर से विभोर राणा और गाजियाबाद से सौरभ त्यागी को पहले ही गिरफ्तार किया गया है तथा दो और ‘सुपर-स्टॉकिस्ट’ जांच के दायरे में हैं और कार्रवाई जारी है। कृष्ण के अनुसार, राज्य में तस्करी की गई कफ सिरप की भारी बरामदगी हुई है।
DGP ने कहा, अब तक लगभग 3.5 लाख बोतलें बरामद की जा चुकी हैं, जिनकी कीमत लगभग 4.5 करोड़ रुपये है। हमने अब तक इस अवैध व्यापार से जुड़े कुल 32 लोगों को गिरफ्तार किया है।
कृष्ण ने कहा कि जांचकर्ताओं को भारत-नेपाल और भारत-बांग्लादेश सीमाओं के पार तस्करी किए जाने के सबूत मिले हैं। नेपाल और बांग्लादेश की ओर जाने वाली खेप के सबूत सामने आए हैं। हम इन सुरागों पर काम कर रहे हैं। हम बैंकिंग चैनलों के माध्यम से वित्तीय लेनदेन की पुष्टि कर रहे हैं।
DGP ने जांच के संबंध में सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही गलत सूचनाओं के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने कहा, सोशल और डिजिटल मीडिया पर बहुत सी बातें बिना सबूत और बिना तथ्यों के सामने आती हैं। हम वित्तीय साक्ष्य एकत्र कर रहे हैं। धनराशि लेनदेन के सत्यापित आधार नाम सामने आए हैं। अवैध रूप से धनराशि उन जगहों और व्यक्तियों को भेजी गई जिनके पास वैध लाइसेंस नहीं था – यहां तक कि ठेले वालों को भी और इसके साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।
आरोपी शुभम जायसवाल के विदेश भाग जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर कृष्ण ने कहा, जरूरत पड़ने पर हम प्रत्यर्पण का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले को अपने हाथ में लिया है। उन्होंने जांच को प्रभावित करने के सोशल मीडिया के दावों को ‘निराधार’ बताते हुए खारिज कर दिया है।
खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्राधिकरण (FDSA) आयुक्त रोशन जैकब ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कोडीन-आधारित कफ सिरप समेत मादक पदार्थ श्रेणी की दवाओं की अवैध हेराफेरी की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।
जैकब ने बताया, मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि कोडीन-आधारित कफ सिरप प्रतिबंधित दवा नहीं है। यह अनुसूची एच के अंतर्गत आता है और इसे केवल डॉक्टर के पर्चे पर ही बेचा जाना चाहिए। इसे कानूनी रूप से रखने या बेचने में कुछ भी गलत नहीं है। समस्या तब उत्पन्न होती है जब बिना किसी सहायक दस्तावेज़ और उचित खरीद-बिक्री रिकॉर्ड के भारी मात्रा में आपूर्ति की जाती है। लाइसेंसिंग प्राधिकारी होने के नाते, हम इसे उल्लंघन मानते हैं।
उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में हुई किसी भी जानलेवा कफ सिरप की घटना का उत्तर प्रदेश में कोई संबंध नहीं है। सभी ज़िलों ने इसकी पुष्टि की है।जैकब ने कहा कि विभाग ने अवैध व्यापार में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, हमने लगभग 280 दवा लाइसेंस रद्द करने के लिए नोटिस जारी किए हैं। जहां भी खामियां पायी गयी हैं, कार्रवाई की जा रही है।
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN), मध्यप्रदेश से प्राप्त महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रारंभिक सत्यापन के दौरान, FSDA मुख्यालय की एक विशेष टीम ने विभिन्न औषधि निरीक्षकों के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश स्थित दो कोडीन कफ सिरप निर्माता फर्मों, उत्तराखंड स्थित तीन ऐसे निर्माताओं, हरियाणा स्थित एक निर्माता के एक डिपो और झारखंड के रांची स्थित एक बहुराष्ट्रीय निर्माता सैली ट्रेडर्स के सुपर-स्टॉकिस्ट की जांच की।
इन निरीक्षणों के दौरान कोडीन-आधारित कफ सिरप के निर्माण, भंडारण, खरीद-बिक्री और वितरण से संबंधित रिकॉर्ड और जानकारी मिली। एकत्रित जानकारी और दस्तावेजों की जांच से पता चला कि इन कंपनियों ने उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में चुनिंदा दवा प्रतिष्ठानों को बार-बार बड़ी मात्रा में कोडीन-आधारित कफ सिरप बेचा था।
विशेष रूप से चल रहे निरीक्षणों के दौरान पाए गए उल्लंघनों की पुष्टि के बाद - ड्रग निरीक्षक ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) और स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 की संबंधित धाराओं के तहत 28 जिलों में 128 प्रतिष्ठानों और उनके संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।