लखनऊ : कोडीन युक्त कफ सिरप के अवैध नेटवर्क को खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने कड़ा सत्यापन, वास्तविक समय निगरानी और सख्त जवाबदेही नियमों समेत दवाओं की थोक बिक्री की लाइसेंसिंग प्रणाली को दुरुस्त करने का प्रस्ताव किया है।
FSDA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि ये प्रस्ताव शासन के पास भेजे गए हैं, जबकि अलग से सिफारिशें केंद्र के पास भेजी गई हैं। FSDA ने ये प्रस्ताव ऐसे समय में भेजे हैं जब फर्जी बिलों के जरिए व्यापक स्तर पर दवाओं की आपूर्ति पर कार्रवाई की जा रही है।
FSDA द्वारा प्रस्तावित प्रमुख उपायों में थोक बिक्री करने वाले दवा प्रतिष्ठानों की जियो टैगिंग, लाइसेंसशुदा स्टोरेज क्षमता का अनिवार्य सत्यापन, परिसरों और स्टॉक का फोटो खींचकर दस्तावेज तैयार करना और दवा निरीक्षकों द्वारा तकनीकी कर्मचारियों के अनुभव प्रमाण पत्रों का प्रमाणन शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य थोक बिक्री आपूर्ति श्रृंखला में खामियों को दूर करना है जिससे अति विनियमित दवाओं को गैर मेडिकल उपयोग के लिए नहीं भेजा जा सकेगा।
विभाग ने कोडीन युक्त कफ सिरप के विनिर्माण, थोक आपूर्ति, वितरण और निगरानी के संबंध में नयी केंद्रीय अधिसूचनाएं और एक समान दिशानिर्देश का भी अनुरोध किया है क्योंकि मौजूदा नियम दुरुपयोग रोकने में नाकाफी साबित हुए हैं।
इन प्रस्तावों को FSDA की टीमों द्वारा उत्तर प्रदेश, दिल्ली और रांची में निरीक्षण के दौरान थोक विक्रेताओं की खरीद एवं बिक्री रिकॉर्ड की जांच के बाद अंतिम रूप दिया गया है। कई मामलों में थोक विक्रेता स्टॉक की रसीद पेश करने में विफल रहे और लेनदेन केवल कागजों में दिखाया गया।
जांचकर्ताओं का आरोप है कि खरीद एवं बिलिंग व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए किए गए, जबकि भौतिक रूप से स्टॉक या तो मौजूद नहीं थे या फिर उसे उसे राज्य के बाहर स्थित सुपर स्टॉकिस्टों से जुड़े नेटवर्क समानांतर वितरण नेटवर्क में भेजा गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले तीन महीनों में FSDA ने कोडीन युक्त कफ सिरप के अवैध भंडारण, खरीद, बिक्री और अन्यत्र भेजने के लिए 52 जिलों में 332 थोक दवा विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों की निरीक्षण किया।
इसके अलावा, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी उन जगहों पर जांच की गई जहां उत्तर प्रदेश स्थित थोक विक्रेताओं और सुपर स्टॉकिस्टों के बीच कारोबारी संपर्क के साक्ष्य मिले।
अधिकारियों ने कहा कि 2024-25 में उत्तर प्रदेश को उपलब्ध कराई गई कोडीन युक्त कफ सिरप की मात्रा, वास्तविक चिकित्सीय जरूरतों से कई गुना अधिक थी। इस अवधि में 3.25 करोड़ से अधिक बोतलों की आपूर्ति की गई।
अभी तक पुलिस और FSDA ने 36 जिलों में 161 फर्मों और परिचालकों के खिलाफ BNS और NDPS अधिनियम के तहत 79 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और 85 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
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