

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को विधानसभा में नेता विरोधी दल के साथ गोरखपुर में कथित दुर्व्यवहार के मामले को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया और आसन के निकट आकर सरकार विरोधी नारे लगाए।इस बीच, हंगामे को देखते हुए सदन को 43 मिनट तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
विधानसभा में माहौल उस समय बिगड़ गया जब सदन के नेता एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विरोधी दल को जवाब देते हुए कहा, व्यापारियों ने आपका विरोध इसलिए किया कि आप वहां बिन बुलाए मेहमान की तरह टपक गये। ये नहीं होना चाहिए। आपका तो व्यापारियों ने सम्मान किया, अगर कोई और होता तो उसको कायदे से सही ढंग से जवाब भी देते।
योगी के इस बयान पर आक्रोशित सपा के सदस्यों ने मामले की जांच की मांग करते हुए आसन के निकट आकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। दरअसल सपा सदस्य, नेता विरोधी दल माता प्रसाद पांडेय के 25 जून के गोरखपुर दौरे में कथित दुर्व्यवहार को लेकर खफा था और वे इस मामले में जांच कमेटी बनाने की मांग कर रहे थे।
विधानसभा अध्यक्ष के आसन के समीप पहुंचे सदस्यों ने ‘पांडेय जी का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ और ‘नेता विरोधी दल का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ जैसे नारे लगाए।
हंगामे को देखते हुए अध्यक्ष सतीश महाना ने सुबह 11 बजकर 37 मिनट पर पहले 15 मिनट के लिए सदन स्थगित किया और फिर इसकी अवधि बढ़ाकर 12 बजकर 20 मिनट तक कर दी।
सपा सदस्यों के इस हंगामे के बीच ‘प्रश्नकाल’ समाप्त हो गया और सिर्फ सपा के सिंबल पर सिराथू सीट से चुनी गईं अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ही अपना एक तारांकित प्रश्न का पूरक प्रश्न ही पूछ सकीं।
विधानसभा सत्र की शुरुआत में ‘वन्दे मातरम्’ के बाद समाजवादी पार्टी के डॉ. संग्राम यादव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया।
महाना ने हस्तक्षेप किया लेकिन उन्होंने कहा कि 25 जून को गोरखपुर में ‘विरासत गलियारा’ के नाम पर व्यापारियों के उत्पीड़न के मामले में नेता विरोधी दल वहां दौरे पर गये थे और संवैधानिक पद पर होने के बावजूद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जेसीबी लगाकर उन्हें रोका और उनके साथ दुर्व्यवहार किया।