उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों का विरोध-प्रदर्शन

डिस्कॉम के निजीकरण के खिलाफ 27 लाख से अधिक बिजली कर्मियों का प्रदर्शन
सांकेतिक चित्र
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नयी दिल्ली/ लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 2 बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के निजीकरण के खिलाफ देशभर में 27 लाख से अधिक बिजली कर्मचारियों ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पीवीवीएनएल) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) का निजीकरण करने का फैसला किया है। ये कंपनियां राज्य के 75 में से 42 जिलों में सेवाएं प्रदान करती हैं।

दुबे ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड और सरकार के कुछ बड़े अधिकारी चुनिंदा निजी घरानों से मिलीभगत कर रहे हैं। वे लाखों करोड़ रुपये की बिजली वितरण कंपनियों की संपत्तियां निजी घरानों को औने-पौने दामों पर बेचना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गलत बिजली खरीद समझौतों से बिजली वितरण कंपनियों को एक भी यूनिट बिजली खरीदे बिना निजी बिजली उत्पादन कंपनियों को सालाना 6,761 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा।

दुबे ने कहा कि विभाग की वजह से ही घाटा बढ़ रहा है। राज्य में गरीबों और किसानों को बहुत सारे लाभ मिलते हैं, जो कंपनियों के निजीकरण के बाद उनसे छीन लिए जाएंगे। चेयरमैन ने कहा कि अगर सरकार निजीकरण बंद नहीं करती है तो कर्मचारी देशभर में अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे जिससे कामकाज प्रभावित होगा।

बिजली कर्मचारियों ने हैदराबाद, तिरुवनन्तपुरम, विजयवाड़ा, चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, नागपुर, रायपुर, भोपाल, जबलपुर, वडोदरा, राजकोट, गुवाहाटी, शिलॉन्ग, कोलकाता, भुवनेश्वर, पटना, रांची, श्रीनगर, जम्मू, शिमला, देहरादून, पटियाला, जयपुर, कोटा, हिसार और लखनऊ में प्रदर्शन किया।

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