

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक मुस्लिम महिला के नकाब हटाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह मामला सुलझने के बजाय मंत्रियों, नेताओं की बयानबाजी के कारण तूल पकड़ता जा रहा है, जो दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने मुख्यमंत्री कुमार से इस मामले पर खेद जताने और विवाद को खत्म करने को कहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बहराइच में हुई विवादास्पद पुलिस परेड की घटना पर भी चिंता जताई। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक लंबे पोस्ट में मायावती ने कहा कि ‘नकाब’ विवाद ‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण’ है, जिसने घटना के संबंध में मंत्रियों की बयानबाजी के कारण और तूल पकड़ लिया है।
इस घटना का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर काफी प्रसारित हो रहा है। यह घटना सोमवार को पटना में मुख्यमंत्री सचिवालय में हुई जहां आयुष चिकित्सक अपने नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के लिए एकत्रित हुए थे।
जब महिला अपना पत्र लेने आई तो कुमार ने उसका नकाब देखा और कहा, ‘यह क्या है’ और फिर उन्होंने नकाब हटा दिया। इसके बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री से बिना शर्त माफी मांगने की बात कही।
मायावती ने शनिवार को अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र वितरण के सार्वजनिक कार्यक्रम में एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का नकाब हटाने का मामला सुलझने के बजाय लगातार तूल पकड़ता जा रहा है और खासकर मंत्रियों आदि की बयानबाजी के कारण इसने विवाद का रूप ले लिया है जो दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है।
मायावती ने कहा, यह मामला पहली नजर में ही महिला सुरक्षा व सम्मान से जुड़ा होने के कारण माननीय मुख्यमंत्री के सीधे हस्तक्षेप से अब तक सुलझ जाना चाहिए था खासकर तब जब कई जगहों पर ऐसी अन्य घटनाएं भी सुनने को मिल रही हैं।
BSP प्रमुख ने सलाह दी, अच्छा होगा कि मुख्यमंत्री इस घटना को सही परिप्रेक्ष्य में देखते हुए इसके लिए पश्चाताप कर लें और कड़वा होते जा रहे इस विवाद को यहीं पर खत्म करने का प्रयास करें।
बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान नव नियुक्त मुस्लिम महिला चिकित्सक का नकाब हटाने और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ. संजय निषाद की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया शुरू कर दी है।
BSP प्रमुख ने अपने लंबे पोस्ट में सिलसिलेवार कई मुद्दों को उठाया जिसमें उन्होंने बहराइच में कथावाचक को सलामी गारद दिये जाने पर कहा, उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला पुलिस द्वारा पुलिस परेड में स्थापित परंपरा, नियमों से हटकर, एक कथावाचक को सलामी देने का मामला भी काफी बड़े विवाद में है और इसको लेकर सरकार कठघरे में है।
उन्होंने कहा, पुलिस परेड व सलामी की अपनी परंपरा, नियम, मर्यादा, अनुशासन व पवित्रता है, जिसको लेकर खिलवाड़ कतई नहीं किया जाना चाहिए। यह अच्छी बात है कि उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने इस घटना का संज्ञान लेकर जिला पुलिस कप्तान से जवाब तलब किया है।
उन्होंने DGP के प्रयासों की सराहना के साथ ही यह अपेक्षा भी जताई कि कार्रवाई का लोगों को इंतजार है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार भी इसे गंभीरता से लेकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाये तो यह पुलिस प्रशासन/अनुशासन एवं कानून का राज के हक में उचित होगा।
मायावती ने विधानमंडल दल के शुरू हुए शीतकालीन सत्र पर कहा, जहां तक दिनांक 19 दिसंबर से शुरू हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा के संक्षिप्त शीतकालीन सत्र का सवाल है, तो यह सत्र भी पिछले सत्रों की तरह ही जनहित व जनकल्याण के मुद्दों से दूर रहने के कारण सत्ता व विपक्ष के बीच वाद-विवाद में घिर गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, बेहतर होता कि सरकार किसानों के खाद की समस्या के साथ-साथ जनहित की अन्य समस्याओं तथा जनकल्याण के प्रति गंभीर होकर संदन में इन पर जवाबदेह होती।
उन्होंने कहा, संसद का शीतकालीन सत्र भी राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की भीषण समस्या सहित देश व जनहित की विकराल रूप धारण कर रही समस्याओं पर विचार किए बिना ही कल समाप्त हो गया, जबकि पूरे देश की निगाहें लगी थीं कि सरकार व विपक्ष दोनों देश की ज्वलंत समस्याओं पर विचार करेंगे और इससे उम्मीद की कुछ नयी किरण पैदा होगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। देश की चिंता लगातार बरकरार है।
मायावती ने कहा, पड़ोसी बांग्लादेश में जो हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं तथा वहां भी नेपाल की तरह भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं, वह भी चिंतनीय स्थिति है जिस पर भी केंद्र सरकार समुचित संज्ञान लेकर दीर्घकालीन नीति के तहत कार्य करे तो यह उचित होगा।