भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के लिए मथुरा तैयार

बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
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मथुरा : मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान और सभी प्रमुख मंदिरों में 16 अगस्त मध्यरात्रि को जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां और मंदिरों की आकर्षक ढंग से साज सज्जा की जा रही है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है।

कटरा केशवदेव स्थित श्री कृष्ण जन्मस्थान परिसर में भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा, जहां भागवत भवन में भगवान की दिव्य प्राकट्य लीला सम्पन्न होगी। श्री कृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि भगवान कृष्ण को चांदी से सुसज्जित गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा, जिसे ‘सिंदूर’ पुष्प महल की तरह सजाया गया है।

उन्होंने बताया कि ठाकुरजी की चल विग्रह को ‘रजत-सूप’ में विराजमान कर अभिषेक स्थल तक ले जाया जाएगा। परंपरा के अनुसार, भगवान का प्राकट्य भी ‘रजत-कमल’ पुष्प में होगा और पहला स्नान सोने की परत चढ़ी चांदी की कामधेनु गाय की मूर्ति के जरिए किया जाएगा। इस अवसर पर भक्तजन ठाकुरजी के जन्माभिषेक दर्शन के लिए मंदिर परिसर में सुबह साढ़े 5 बजे से रात्रि डेढ़ बजे तक प्रवेश पा सकेंगे।

जन्मोत्सव से एक दिन पूर्व शुक्रवार शाम 6 बजे भगवान कृष्ण की भव्य पोशाक का एक विशेष ‘अर्पण और दर्शन’ समारोह आयोजित किया जाएगा। जन्माष्टमी के अवसर पर जन्मस्थान परिसर में श्री केशवदेव, श्रीयोगमाया, गर्भगृह, श्री राधाकृष्ण युगल सरकार मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।

शर्मा ने बताया कि इस वर्ष का ‘सिंदूर बंगला’ विषय भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से प्रेरित है, जिसे उन्होंने आध्यात्मिक संकल्प, राष्ट्रहित, सैन्य वीरता और रणनीतिक कौशल का एक पवित्र संगम बताया। उन्होंने कहा कि विजय और सुरक्षा के प्रतीक भगवान कृष्ण के इस अनूठे रूप को देखकर भक्तों को गर्व और आध्यात्मिक आनंद की गहरी अनुभूति होगी।

शर्मा ने बताया कि जन्माभिषेक का मुख्य कार्यक्रम शनिवार रात्रि 11 बजे श्री गणेश, नवग्रह आदि पूजन से प्रारम्भ होगा जो रात 11 बजकर 55 मिनट तक सहस्त्रार्चन (फूलों और तुलसी के पत्तों का 1,000 बार अर्पण) के साथ जारी रहेगा।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि मंदिर परिसर को सुंदर सजावट और रोशनी से सजाया जा रहा है। कंस के कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भगृह को 221 किग्रा चांदी का उपयोग करते हुए विशिष्ट स्वरूप में निखारा गया है।

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