अंतरिक्ष में 18 दिन बिताकर लौटे लखनऊ के लाल शुभांशु शुक्ला का भव्य स्वागत

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का उपमुख्यमंत्री समेत प्रमुख लोगों ने किया स्वागत
लखनऊ में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का स्वागत
लखनऊ में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का स्वागत-
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लखनऊ : अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के सफल मिशन के बाद, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सोमवार सुबह लगभग नौ बजे अपने गृह नगर लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया।

हवाई अड्डे से गोमती नगर विस्तार स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) तक उनकी यात्रा का ऐतिहासिक स्वागत किया गया। शुक्ला ने दिए एक संक्षिप्त जवाब में कहा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। यहां लोगों में यह उत्साह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।

इससे पहले हवाई अड्डे पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, भाजपा नेताओं सहित अनेक प्रमुख लोगों ने शुक्ला का स्वागत किया। लखनऊ के त्रिवेणी नगर निवासी शुभांशु के परिवार के सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

उनके माता-पिता शंभू शुक्ला और आशा शुक्ला, पत्नी कामना और बेटा कियाश, तिरंगा लहराते और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाते उत्साही जनसमूह के साथ मौजूद थे।

शुक्ला ने जिस सीएमएस से स्कूली शिक्षा प्राप्त की, उस विद्यालय ने उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि के सम्मान में एक ‘भव्य विजय परेड’ का आयोजन किया। सीएमएस के छात्र सुबह से ही हवाई अड्डे पर मौजूद रहे और उन्होंने बैंड की धुनों के साथ उनका स्वागत कर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।

उत्सव के माहौल को और खास बनाने के लिए एक मंडली ने ढोल और तुरही बजाई, जबकि छात्र अंतरिक्ष अभियानों और खगोलीय पिंडों से जुड़ी आकर्षक वेशभूषा में सजे थे। सीएमएस प्रबंधक गीता गांधी ने शुभांशु शुक्ला का व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया।

हवाई अड्डे पर शासन-प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। उपमुख्यमंत्री पाठक ने उन्हें गुलदस्ता और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। शुक्ला उपमुख्यमंत्री के साथ हवाई अड्डे से बाहर निकले और उनका काफिला सीएमएस स्कूल की ओर रवाना हुआ।

जिस वाहन में शुक्ला सवार थे, उस पर फूलों की वर्षा की गई। एक आस्तीन पर भारतीय ध्वज और दूसरी पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का प्रतीक चिह्न वाली वायुसेना की जैकेट पहने शुक्ला ने हाथ हिलाकर व मुस्कुराकर लोगों का अभिवादन किया।

अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच उनका काफिला आगे बढ़ा और रास्ते भर ‘भारत माता की जय’ के नारों की गूंज रही।

हवाई अड्डे से शुक्ला खुली छत वाली गाड़ी में परिवार के साथ रोड शो के लिए रवाना हुए। हल्की बूंदाबांदी के बावजूद लोग सड़कों के किनारे कतारों में खड़े होकर उनकी एक झलक पाने को उत्सुक दिखे।

रोड शो के दौरान, हवाई अड्डे से गोमती नगर विस्तार तक स्कूली बच्चों, परिवारों और नागरिकों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग हाथों में झंडे और बैनर लेकर खुशी जाहिर कर रहे थे। कई स्थानों पर लगाए गए डिजिटल स्क्रीन पर शुक्ला और उनके अंतरिक्ष मिशन के वीडियो भी दिखाए गए।

शुक्ला जब सीएमएस पहुंचे तो उनके सम्मान में विशेष समारोह आयोजित किया गया। मंच पर पहुंचते ही उन्होंने एक बच्चे को ‘ऑटोग्राफ’ दिया। मंच पर उनकी मां और परिजनों को भी बुलाया गया, जहां वे भावुक होकर बेटे से लिपट गईं।

इससे पूर्व, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, आदरणीय शुभांशु शुक्ला का हमने हृदय की गहराइयों से स्वागत किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज भारत अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व में अग्रणी बन रहा है।

उन्होंने कहा, शुभांशु जी ने हमें बताया कि अंतरिक्ष से भारत और लखनऊ कैसा दिखता है। उन्होंने जो दृश्य वर्णित किया, उसे शब्दों में बयां करना कठिन है। उपमुख्यमंत्री ने कहा, यह हम सबके लिए गौरव का क्षण है कि लखनऊ का बेटा अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराकर लौटा है। लोकभवन में सरकार की ओर से उनके सम्मान में बड़ा कार्यक्रम रखा गया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी शुभांशु शुक्ला का स्वागत करते हुए इसे गौरवपूर्ण क्षण बताया। एक अधिकारी ने बताया कि दोपहर में शुभांशु शुक्ला की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात का कार्यक्रम तय है।

महापौर सुषमा खरकवाल ने कहा कि लखनऊ में एक पार्क का नाम शुभांशु शुक्ला के नाम पर रखा जाएगा, हालांकि अभी यह तय नहीं है कि कौन-सा पार्क होगा। उनके आगमन से पहले प्रशासन ने त्रिवेणी नगर में साफ-सफाई अभियान चलाया, सड़कों की मरम्मत की और देशभक्ति से सजी होर्डिंग लगाए।

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 25 जून को फ्लोरिडा से प्रक्षेपित हुए ‘एक्सिओम-4’ मिशन का हिस्सा थे। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने। अपने 18 दिवसीय मिशन के दौरान उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए और 20 ‘आउटरीच’ सत्रों में भाग लिया। शुक्‍ला 15 जुलाई को अपना मिशन पूरा कर अंतरिक्ष से धरती पर लौटे थे।

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