इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव राम मंदिर आंदोलन पर एक संगोष्ठी में शामिल नहीं होंगे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव राम मंदिर आंदोलन पर एक संगोष्ठी में शामिल नहीं होंगे।

राम मंदिर आंदोलन पर सेमिनार में नहीं जाएंगे जस्टिस शेखर यादव

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर यादव प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र में आयोजित संगोष्ठी में शामिल नहीं होंगे। न्यायमूर्ति यादव के पिछले वर्ष दिसंबर में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में भाषण देने के बाद विवाद हुआ था। उन्हें 22 जनवरी को महाकुंभ मेला क्षेत्र में एक संगोष्ठी में मुख्य भाषण देना था लेकिन अब वह इसमें भाग नहीं लेंगे। आयोजकों के मुताबिक, न्यायमूर्ति यादव ने 22 जनवरी को कार्य दिवस बताते हुए 'राष्ट्रीय संगोष्ठी :राम मंदिर आंदोलन और गोरक्षपीठ' सेमिनार में शामिल होने में असमर्थता जताई।

संगोष्ठी के संयोजक शशि प्रकाश सिंह ने कहा, आयोजन समिति के कुछ सदस्यों ने न्यायमूर्ति यादव के इस कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति ली थी। चूंकि संगोष्ठी कार्य दिवस पर है इसलिए उन्होंने इसमें शामिल होने में असमर्थता जताई है। इस बारे में आयोजन समिति को सूचित कर दिया है। सिंह ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पहली वर्षगांठ के अवसर पर यह संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक अशोक बेरी और विहिप के वरिष्ठ नेता बड़े दिनेश जी सिंह संगोष्ठी को संबोधित करेंगे।

न्यायमूर्ति यादव ने 8 दिसंबर 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के पुस्तकालय हॉल में विहिप के विधि प्रकोष्ठ और उच्च न्यायालय इकाई के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। अगले दिन, न्यायाधीश के संबोधन के वीडियो सोशल मीडिया पर सार्वजनिक हुए, जिस पर कई हलकों से तीखी प्रतिक्रिया हुई। विपक्षी नेताओं ने उनके कथित बयान पर सवाल उठाए और इसे 'घृणा भाषण' करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 10 दिसंबर को समाचार रिपोर्टों पर संज्ञान लिया और इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी। यादव प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कोलेजियम के समक्ष पेश हुए और उनसे उनके बयानों पर अपना पक्ष रखने को कहा गया।

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