रेलवे स्टेशन पर सेना के डॉक्टर ने कराया आपात प्रसव

‘हेयर क्लिप’ और ‘पॉकेट नाइफ’ जैसे औजार जीवनरक्षक उपकरण साबित हुए, महिला ने एक स्वस्थ बेटी को दिया जन्म
Jhanshi
नवजात बच्चे के साथ डॉक्टर व अन्य सहयोगी ।
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झांसी : पनवेल-गोरखपुर एक्सप्रेस में सफर के दौरान प्रसव पीड़ा होने के बाद झांसी रेलवे स्टेशन पर उतारी गई एक महिला का सेना के एक युवा डॉक्टर ने प्लेटफार्म पर ही प्रसव कराया। आनन-फानन में हुई इस प्रक्रिया में ‘हेयर क्लिप’ और ‘पॉकेट नाइफ’ जैसे औजार जीवनरक्षक उपकरण साबित हुए और महिला ने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया। उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने रविवार को बताया कि शनिवार को पनवेल-गोरखपुर एक्सप्रेस से पनवेल से बाराबंकी जा रही एक गर्भवती महिला को दोपहर में तेज प्रसव पीड़ा शुरू होने पर झांसी स्टेशन पर उतारा गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए एक महिला टिकट चेकिंग कर्मी और मौके पर मौजूद सेना चिकित्सा कोर के अधिकारी डॉक्टर रोहित बचवाला (31) ने मुस्तैदी दिखाते हुए स्टेशन पर ही महिला का सुरक्षित प्रसव कराया।

डॉक्टर ने बताई पूरी बात : डॉक्टर बचवाला ने बताया कि शनिवार दोपहर मैं हैदराबाद जाने के लिए अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहा था तभी मैंने देखा कि एक महिला रेल कर्मचारी लिफ्ट के निकट एक गर्भवती महिला को व्हीलचेयर पर ले जा रही है। दर्द से कराहती वह महिला अचानक गिरने लगी। यह देख मैंने तुरंत जाकर उसे संभाला और उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए तथा मां-बच्चे की जान सुरक्षित रखने के लिए रेलवे कर्मियों की मदद से तुरंत प्रसव कराने का निर्णय लिया और प्लेटफार्म पर ही अपने पास मौजूद उपकरणों की मदद से महिला का सुरक्षित प्रसव कराया।

न्यूनतम संसाधनों का ही इस्तेमाल : उन्होंने बताया कि प्रसव के दौरान गर्भनाल को जकड़ने के लिये महिलाओं के बालों में प्रयोग होने वाली हेयर पिन की भी मदद ली। बच्चे की स्थिति स्थिर होने के बाद मैंने एक ‘पॉकेट नाइफ’ से गर्भनाल काटकर मां और बच्चे को अलग किया। मां और बच्चे की हालत नाजुक थी और ऐसे में हर पल मायने रखता है। बचवाला का कहना था कि स्थिति को संभालने के लिये बहुत कम वक्त था, इसलिये उन्होंने प्लेटफार्म पर ही अस्थायी प्रसव क्षेत्र बनाया और उपलब्ध सामग्रियों की मदद से बुनियादी स्वच्छता सुनिश्चित की। प्रसव के बाद, मां और बच्चे दोनों को एम्बुलेंस द्वारा स्थानीय अस्पताल ले जाया गया। न्यूनतम संसाधनों का इस्तेमाल करके सेना के एक युवा डॉक्टर द्वारा आनन-फानन में सुरक्षित तरीके से की गई इस प्रक्रिया को देखकर आसपास खड़े लोग दंग रह गए। यह भी एक संयोग रहा कि जटिल चिकित्सकीय प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद मेजर बचवाला समय पर हैदराबाद के लिए अपनी ट्रेन पर सवार भी हो गए।

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