सीएम योगी ने कहा- कोविड-19 महामारी की जांच में आईवीआरआई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

संस्थान ने जांच में सहयोग करके 2 लाख से अधिक परीक्षणों में बड़ी भूमिका निभायी थी
आईवीआरआई का 11वां दीक्षांत समारोह
आईवीआरआई का 11वां दीक्षांत समारोह
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बरेली : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के योगदानों पर प्रकाश डालते हुए सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान इस संस्थान ने आगे आकर जांच में सहयोग करके दो लाख से अधिक परीक्षणों में बड़ी भूमिका निभायी थी।

मुख्यमंत्री ने आईवीआरआई के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, जब कोविड-19 का खतरा सामने आया था तो प्रारंभिक दौर में कोविड की जांच एक चुनौती थी। ऐसे में आईवीआरआई आगे आया और एक नोडल केंद्र के रूप में उसने कोविड-19 की जांच में उत्तर प्रदेश सरकार का सहयोग किया। यानी केवल पशु-पक्षियों के लिए ही नहीं, बल्कि मनुष्यों के जीवन को बचाने के लिए आईवीआरआई ने एक बड़ी भूमिका निभाई।

आदित्यनाथ ने कार्यक्रम में उपाधियां पाने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा, याद रखना कि पहचान हमारी तभी होती है जब संकट आता है। हम किस मनोवृति से चुनौती का सामना कर पा रहे हैं, यह उस चुनौती के सामने हमारे द्वारा दिए जाने वाले प्रदर्शन पर निर्भर करता है।उन्होंने कहा, श्रद्धेय अटल जी (भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी) ने एक बात कही थी कि इंसान को विचार करना, परिस्थितियों से लड़ना, एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़ना आना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा, एक मूक पशु की आवाज को आपके (आईवीआरआई) कार्यों के माध्यम से, आपके शोध के माध्यम से एक नया जीवन मिलता है। उत्तर प्रदेश में हम लोग आईवीआरआई की सेवाएं केवल पशुधन के क्षेत्र में ही नहीं लेते बल्कि हर प्रकार के जीव-जंतुओं को एक नया जीवन देने में इसकी बेहद सराहनीय सेवा प्राप्त होती है। यह हमारा गौरव है कि बरेली के माध्यम से उत्तर प्रदेश और भारत इन सेवाओं से लगातार लाभान्वित होता है।

मुख्यमंत्री ने पशुओं की बीमारी लंपी के टीके से जुड़ा एक वाकया बताते हुए कहा, आईवीआरआई द्वारा विकसित किए गए इस बीमारी के टीके को सरकार की अनुमति नहीं मिल पा रही थी। बाद में मैंने केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला को फोन किया और उनका सकारात्मक सहयोग प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि अनुमति मिलने के बाद आईवीआरआई द्वारा लंपी बीमारी से ग्रस्त पशुओं को टीका लगाया गया, जिसके बाद उसके चामत्कारिक परिणाम देखने को मिले और वह बीमारी पूरी तरह खत्म हो गयी।

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