बलरामपुर : उत्तर प्रदेश एटीएस ने जिहाद के नाम पर हिन्दुओं का ब्रेन वाश और प्रलोभन देकर उनका धर्मांतरण कराने वाले एक बड़े नेटवर्क का खुलासा करते हुए मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर छांगुर बाबा को बलरामपुर से गिरफ्तार किया है। इसका नाम तब सामने आया जब दो दिन पहले एक दर्जन से अधिक लोगों की घर वापसी की घटना हुई थी। एसटीएफ के मुताबिक इस पूरे नेटवर्क को विदेशों से फंडिंग मिल रही थी। एसटीएफ ने बलरामपुर जिले के मधपुर गांव थाना उतरौला में छापेमारी कर जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन, और अन्य को गिरफ्तार किया है। छांगुर बाबा पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित था। जांच में पता चला कि यह गैंग युवतियों और नाबालिगों को प्रेम जाल में फंसाकर, प्रलोभन देकर, या धमकी देकर उनका धर्म परिवर्तन कराता था।
खुद को सूफी संत बताता था छांगुर : जमालुद्दीन उर्फ छांगुर जोकि खुद को सूफी संत हजरत बाबा जलालुद्दीन 'पीर बाबा' के रूप में प्रचारित करता था, ने 'शिजर-ए-तैय्यबा' नामक पुस्तक छपवाकर इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया. गैंग के सदस्यों ने हिंदू और गैर-मुस्लिम समुदायों की युवतियों को निशाना बनाया। एक मामला लखनऊ की गुंजा गुप्ता का है, जिसे अबू अंसारी ने छद्म हिंदू नाम अमित का उपयोग कर प्रेम जाल में फंसाया और छांगुर बाबा की दरगाह पर ले जाकर उसका धर्म परिवर्तन करवाया, जहां उसका नाम अलीना अंसारी रखा गया था।
विदेशी फंडिंग और संपत्ति : एसटीएफ जांच में पता चला कि गैंग के सदस्यों ने 40 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की थी। उन्होंने खुद के और फर्जी संस्थाओं के नाम पर 40 से अधिक बैंक खाते खोले, जिनमें लगभग 100 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। इस रकम से गैंग ने लग्जरी गाड़ियां, शोरूम, बंगलेअन्य संपत्तियां खरीदीं। छांगुर बाबा के साथ नीतू उर्फ नसरीन, महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, सगीर, और एमेन रिजवी इस नेटवर्क में शामिल थे। एसटीएफ ने पहले ही नवीन उर्फ जमालुद्दीन और महबूब को 8 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, जो वर्तमान में लखनऊ जिला जेल में हैं। अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है।
जाति के हिसाब से तय थी धर्मान्तरण की रकम
एसटीएफ की पूछताछ में छांगुर बाबा ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। गैंग ने धर्म परिवर्तन के लिए जाति के आधार पर रकम तय की थी। ब्राह्मण, क्षत्रिय, या सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए 10-12 लाख रुपये, अन्य जातियों की लड़कियों के लिए 8-10 लाख रुपये। गरीब, असहाय, और मजदूर वर्ग को प्रलोभन या फर्जी मुकदमों की धमकी देकर धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता था।