इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- ‘सिर तन से जुदा’ नारा विद्रोह के लिए उकसाने वाला

‘सिर तन से जुदा’ नारा कानून व्यवस्था और भारत की एकता एवं अखंडता को एक चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि ‘गुस्ताख-ए-नबी की एक ही सजा, सिर तन से जुदा, सिर तन से जुदा’ नारा कानून व्यवस्था और भारत की एकता एवं अखंडता को एक चुनौती है क्योंकि यह लोगों को विद्रोह के लिए उकसाता है।

अदालत ने इत्तेफाक मिन्नत काउंसिल (INC) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर 26 मई, 2025 को बिहारीपुर में एकत्रित 500 लोगों की भीड़ द्वारा हिंसा के मामले में आरोपी रिहान नाम के युवक की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। इस हिंसा में लोगों ने उक्त नारा लगाया था।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा, यह कृत्य ना केवल BNS की धारा 152 के तहत दंडनीय है, बल्कि इस्लाम के बुनियादी सिद्धांत के भी खिलाफ है।

अदालत ने कहा, केस डायरी में यह दर्शाने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि याचिकाकर्ता उस गैर कानूनी सभा का हिस्सा था जिसने ना केवल आपत्तिजनक नारा लगाया, बल्कि पुलिसकर्मियों को घायल किया, निजी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उसे मौके से गिरफ्तार किया गया, इसलिए उसे जमानत पर रिहा करने का कोई आधार नहीं है।

अदालत ने यह भी कहा, आमतौर पर हर धर्म में नारे लगाए जाते हैं, लेकिन ये नारे ईश्वर के लिए सम्मान प्रदर्शित करने के लिए लगाए जाते हैं। जैसे इस्लाम में ‘अल्लाहू अकबर’ का नारा लगाया जाता है, सिख धर्म में ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ और हिंदू धर्म में ‘जय श्री राम, हर हर महादेव’ का नारा लगाया जाता है।

अदालत ने कहा, यद्यपि ‘गुस्ताख-ए-नबी की एक सजा, सिर तन से जुदा’ नारे का कुरान या किसी अन्य धार्मिक ग्रंथ में कोई जिक्र नहीं है, फिर भी इस नारे का कई मुस्लिम लोगों द्वारा बिना इसका सही अर्थ जाने व्यापक इस्तेमाल किया जा रहा है।

अदालत ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि उक्त विश्लेषण को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भीड़ द्वारा लगाया गया यह नारा कानून-व्यवस्था और भारत की एकता एवं अखंडता के लिए चुनौती है क्योंकि यह लोगों को विद्रोह के लिए उकसाता है।

उसने कहा कि इसलिए यह कृत्य ना केवल BNS की धारा 152 के तहत दंडनीय है, बल्कि इस्लाम के बुनियादी सिद्धांत के भी खिलाफ है। BNS की धारा 152 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले अपराध से निपटती है।

उल्लेखनीय है कि बरेली हिंसा में पुलिस ने जब भीड़ को रोकने का प्रयास किया तो भीड़ ने उनकी लाठी छीन ली और उनकी वर्दी फाड़ दी। पुलिस द्वारा आपत्ति करने पर भीड़ ने उन पर पेट्रोल बम फेंकना शुरू कर दिया और गोलीबारी एवं पथराव शुरू कर दिया जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटनास्थल से सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

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