

कोलकाता : मन की इच्छा और आरोग्य प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही भक्त नारायण की भी पूजा कर सकते हैं। हरिहर की पूजा होने से भक्तों को परम आनंद की प्राप्ति होती है। उक्त उद्गार वृंदावन से पधारे परम पूज्य आचार्य पं. मृदुलकान्त शास्त्री ने संगीत कला मंदिर ट्रस्ट कुमार मंगलम बिड़ला और संगीत कला मंदिर अरविन्द नेवर की ओर से कला कुंज में आयोजित पंच दिवसीय श्री श्री शिव महापुराण कथा के पहले दिन श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग कथा के अंतर्गत भगवान नागेश्वरनाथ की महिमा के बखान के दौरान व्यक्त किये। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि नागेश्वनाथ की पूजा करने से भक्तों को विष से मुक्ति मिलती है। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। भक्त इस माह में किसी भी मंदिर में जलाभिषेक कर पूजा अर्चना कर दीन दु:खियों की सेवा कर सकते हैं। जहां पर नदियां हैं वहां पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई। कोलकाता से प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में कावड़िये भोलेबाबा की नगरी तारकेश्वर, बासुकीनाथ और वैद्यानाथ धाम जाते हैं। प्रवचन के दौरान भगवान नागेश्वर की छह कथाएं सुनायी जाएंगी। कथा नि:शुल्क है। शिव के गले में नौ नागों में प्रधान बासुकीनाथ हैं। शिव भक्त मंत्र जाप करे लेकिन श्रद्धा में कोई कमी न करें।
ट्रस्टी संजय कुमार सिन्हा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि पंंडित मृदुलकांत शास्त्री विगत 21 सालों से श्री श्री शिव महापुराण कथा पर प्रवचन दे रहे हैं। इस बार नागेशवर धाम और केदारनाथ का प्रसंग श्रोताओं को सुनने का असवर मिलेगा। उन्होंने शिव भक्तों से इस कथा से जुड़ने की अपील की। उन्होंने उपस्थित सभी भक्तों को स्वागत किया। मौके पर व्यवस्थापक सुशील कुमार अग्रवाल और अनिता सैनी सहित कई शिव भक्त मौजूद रहे।