

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) को अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय द्वारा हिंद महासागर के दीर्घकालिक अवलोकन के लिए पनडुब्बी केबल पहल करने के लिए चुना गया है। लगभग 150 किलोमीटर लंबी पनडुब्बी केबल बहु-पैरामीटर वेधशाला अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में वंडूर के पश्चिम में स्थित होगी। बुनियादी ढांचे में केबल के साथ दो विज्ञान नोड शामिल होंगे, जो 2,000 से 2,500 मीटर की गहराई पर स्थित समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय सेंसर से लैस होंगे।
आईएनसीओआईएस के निदेशक ने कहा
आईएनसीओआईएस के निदेशक टी.एम. बालकृष्णन नायर ने कहा कि वंडूर में एक वेधशाला में लैंडिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा, जिसमें हैदराबाद में संस्थान मुख्यालय में वास्तविक समय के डेटा अधिग्रहण और निगरानी के लिए एक नियंत्रण केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि इस वेधशाला से समुद्र में होने वाली हलचल को समझने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाने की उम्मीद है, जिसमें भूकंपीय गतिविधि और सुनामी को ट्रिगर करने की क्षमता शामिल है। यह सुनामी और तूफान की पूर्व चेतावनी प्रणाली से संबंधित जलवायु अनुसंधान और परिचालन अनुप्रयोगों के लिए विभिन्न समुद्र विज्ञान, भूभौतिकीय मापदंडों का भी अध्ययन करेगा।
महासागर दशक सुनामी कार्यक्रम
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमआईएस) के तहत काम करने वाले आईएनसीओआईएस को फ्रांस में मुख्यालय वाले यूनेस्को के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (आईओसी) द्वारा उठाए जा रहे महासागर दशक सुनामी कार्यक्रम (ओडीटीपी) के तहत 10 प्रमुख शोध परियोजनाओं में से तीन के लिए चुना गया है। यह कार्यक्रम अतीत या संभावित सुनामी स्रोतों के ज्ञान का विस्तार करने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और समुद्री संपत्तियों पर प्रभाव का अध्ययन करने और निगरानी और चेतावनियों में सुधार करके उन्हें कम करने के तरीके के लिए है। डॉ. नायर आपदा जोखिम ज्ञान में सुधार, बेहतर पहचान, अवलोकन और पूर्वानुमान, संचार में प्रगति और बढ़ी हुई तैयारियों के लिए भारत के लिए जन केंद्रित सुनामी प्रारंभिक चेतावनी (पीसीटीडब्लूआईएन) नामक एक अन्य परियोजना के प्रभारी भी होंगे।