

कोलकाता: बॉलीवुड के दिग्गज सुपरस्टार धर्मेंद्र ने सोमवार को अंतिम सांस ली। अपने करिश्माई अंदाज, प्रभावशाली संवाद-अदायगी और दमदार एक्शन के लिए मशहूर धर्मेंद्र 1970 के दशक के सबसे बड़े सितारों में गिने जाते थे। अमिताभ बच्चन की उभरती लोकप्रियता के दौर में भी धर्मेंद्र एकमात्र अभिनेता थे जिन्होंने उनके स्टारडम को कड़ी चुनौती दी।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि हिंदी सिनेमा के इस सुपरस्टार ने अपने करियर में एक बंगाली फिल्म भी की थी—'पाड़ी' (1966)। यह उनकी पहली और आखिरी बंगाली फिल्म थी, जो न सिर्फ व्यावसायिक रूप से सफल रही, बल्कि समीक्षकों ने भी इसकी खूब प्रशंसा की।
'पाड़ी' का निर्देशन उस दौर के मशहूर निर्देशक जगन्नाथ चट्टोपाध्याय ने किया था। यह फिल्म प्रसिद्ध कहानीकार गजेंद्र कुमार मित्र की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में धर्मेंद्र ने अपनी पहली बंगाली फिल्म में अभिनय किया, जिसके लिए उन्होंने बतौर बांग्ला सीखा था। उनके साथ प्रोनती घोष मुख्य भूमिका में थीं।
इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें बॉलीवुड के महान अभिनेता दिलीप कुमार ने भी एक महत्वपूर्ण कैमियो निभाया था। दिलीप कुमार ने इसमें अंडमान के एक जेलर के रूप में अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज करायी थी। यह फिल्म सफल साबित हुई। उस दौर में इतने बड़े सितारों का एक ही फिल्म में होना बेहद दुर्लभ था, भले ही दिलीप कुमार का रोल लंबा न हो।
'पाड़ी' की सफलता के बाद इसका हिंदी रीमेक 'अनोखा मिलन' (1972) बनाया गया, जिसमें धर्मेंद्र और दिलीप कुमार ने अपने ही किरदार को दोबारा निभाया। यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। संगीतकार सलील चौधरी ने दोनों संस्करणों का संगीत तैयार किया और उनकी धुनें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुईं। धर्मेंद्र की यह बंगाली फिल्म कई मायनों में प्रयोगात्मक और ट्रेंडसेटर थी। धर्मेंद्र का यह कम ज्ञात अध्याय भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अनोखी जगह रखता है।