

कोलकाता - किसी भी चीज, चाहे वो कितनी ही लुभावनी क्यों न हो, का लती बन जाना आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। यह ठीक है कि आज के स्मार्ट युवक-युवतियों की खास जरूरत बन गया है इंटरनेट। लगता है कि अगर इंटरनेट न हो तो जीवन ही ठप्प पड़ जाएगा। क्या आफिस, क्या घर, इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
लोग पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर हैं
कोई भी जानकारी चाहिए, जवाब के लिए इंटरनेट मौजूद है। एक कंपेनियन की तरह इंटरनेट आप का साथ देता है। मनोरंजन ऑन लाइन, शॉपिंग, सोशल साइट्स पर दोस्ती, चैंटिग, ब्लॉग पर मन का गुबार निकालना या अपने विचार प्रगट करना, पढ़ाई का मामला हो या कालेज अपडेट करना हो- इंटरनेट एक बढ़िया साधन है लेकिन इंटरनेट एडिक्ट बन जाना आपको मानसिक रूप से बीमार कर सकता है यानी कि आप इंटरनेट एडिक्शन डिसआर्डर के मरीज बन सकते हैं।
आई.ए.डी. के दुष्प्रभाव
जीवन जीने के लिए एक्टिव रहने के लिए मिला है। अगर हम कुदरत को फालो नहीं करते तो जाहिर सी बात है इसका दुष्प्रभाव भी हमें ही झेलना पड़ेगा। इस एडिक्शन के चलते लोग घंटों कंप्यूटर के आगे बैठे रहते हैं। इसका सीधा असर आंखों पर पड़ता है। आंखों में सूखापन, उनका लाल होना, तेज सिरदर्द, पीठ, गले, कंधे व गर्दन में जकड़न व लगातार दर्द जैसी समस्याओं से इन्हें जूझना पड़ सकता है।
कुछ अन्य समस्याएं
इसके अलावा कुछ अन्य समस्याएं जिनसे इंटरनेट एडिक्ट का सामना होता है, वे हैं-इंटरनेट काम न करे तो व्यक्ति पगला सा हो जाता है। उसे समझ में नहीं आता कि अब वो क्या करे।
● मूड का तेजी से बदलना।
● वक्त की बर्बादी
● इंटरनेट पर गलत सामग्री वाली साइट बड़ों को ही नहीं, किशोर और बच्चों को भी बेहद अट्रैक्ट करती है जिसका उन पर गलत असर पड़ता है।
● सोशल नैटवर्किंग में व्यस्त लोग ऑनलाइन चैंटिग करते रहते हैं। इसके बाद उन्हें सोशलाइजेशन की जरूरत ही महसूस नहीं होती, न ही उनके सामाजिक तौर से मिलने मिलाने के लिए वक्त या इच्छा बाकी रहती है।
● इंटरनेट के जरिए हैकर्स गोपनीय दस्तावेजों की चोरी करते हैं। कोई भी कभी भी इनका शिकार बन सकता है।
● कंप्यूटर पर दो ढाई घंटे से ज्यादा लगातार काम करते रहने से सी.वी.एस (कंप्यूटर विजन सिंड्रोम) जैसी बीमारी हो सकती हैं। इसमें सिर और गर्दन में दर्द के अलावा आंखों में तकलीफ होने लगती है। कंप्यूटरं के साथ स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल भी बीमारियों को नियंत्रण देता है, उदाहरण के लिए नर्व इंजरी, कॉर्पल टनल सिंड्रोम (सी.टी.एस.) रेडिएशन से जुड़ी प्राब्लम्स, इंटरनेशनल ब्लाइंडनेस इत्यादि।
इंटरनेट यूजर्स सावधान रहें, सुरक्षित रहें
● वीकएंड परिवार के लिए रखें। इस टाइम में अपने को सोशल नेटवर्क से दूर रखें। अपने परिवार को क्वालिटी टाइम दें। अपने को इस तरह आप जांच पाएंगे कि कहीं आप नेट एडिक्शन से ग्रस्त तो नहीं।
● हर आधे घंटे बाद कम से कम आधा मिनट आंखें बंद कर उन्हें आराम दें।
● कंप्यूटर स्क्रीन के कंट्रास्ट और ब्राइटनेस लाउड न रखकर सामान्य रखें। इससे आंखों पर कम जोर पड़ेगा।
● कंप्यूटर के लिए स्पेशल चश्मे आते हैं। उनका इस्तेमाल करने से जहां स्क्रीन पर देखने में क्लेरिटी आती है, आंखों पर स्ट्रेन भी कम पड़ता है।
● लगातार एक टक स्क्रीन पर न देखकर बीच में आंखें झपकाते रहेंगे तो आंखों की नमी बनी रहेगी और उनमें ड्राइनेस की शिकायत नहीं होगी।
नेट के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों में एक अलग तरह का मनोविकार पैदा हो रहा है। वे अनसोशल डिस्प्रेस्ड, मूडी, कनफ्यूज्ड रहते हैं। यहां तक कि उनकी मेमोरी पर भी बुरा असर पड़ने लगता है।
अगर बड़ों की बात करें तो उन्हें बीपी तथा हार्ट प्राब्लम जैसी बीमारियां हो सकती हैं लेकिन एक बड़ा सच यह है कि आज की वर्क स्टाइल और लाइफस्टाइल का इंटरनेट एक जरूरी हिस्सा बन चुका है, इसे नकारा नहीं जा सकता। अन्य नेसेसरी इविल की तरह इसे स्वीकारते हुए हमें इसे कम से कम ही इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर न पड़े।