गीली पुस्तकों का मेला: कॉलेज स्ट्रीट की अनोखी पहल

मेले में 60 से अधिक प्रकाशक भाग लेंगे
गीली पुस्तकों का मेला: कॉलेज स्ट्रीट की अनोखी पहल
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कोलकाता: महानगर के साहित्य और संस्कृति की आत्मा कहे जाने वाले कॉलेज स्ट्रीट की गलियों में कभी स्याही और कागज़ की महक घुली रहती थी। लेकिन 23 सितंबर की बारिश ने उस सुगंध को जैसे डूबो दिया था। हर ओर गीले पन्नों की कराह, फटी किताबों की चुप्पी और टूटी आलमारियों के बीच खोया था शहर का साहित्यिक रंग।

इसी खोए रंग को फिर से लौटाने की कोशिश कर रहा है कोलकाता क्रिएटिव पब्लिशर्स वेलफेयर एसोसिएशन। सोमवार 3 नवंबर को कॉलेज स्क्वायर के सामने आयोजित होने जा रहा है एक ऐसा आयोजन, जो केवल सहायता कार्यक्रम नहीं बल्कि उम्मीद का नया अध्याय है। इस दिन उन प्रकाशकों को आर्थिक मदद के रूप में चेक दिए जाएंगे, जिनकी दुकानें और किताबें बाढ़ की मार झेल चुकी हैं।

साथ ही इसमें बारिश में क्षतिग्रस्त हुई अधिकांश पुस्तकों को भी अच्छे डिस्काउंट मूल्य पर बिक्री के लिए प्रदर्शित किया जाएगा, जो अब 'गीली पुस्तकों के मेले' के रूप में लोकप्रिय हो रही है। इस अनूठे मेले में 60 से अधिक प्रकाशक भाग लेंगे।

संघ के अध्यक्ष मारूफ हुसैन और सचिव अभिषेक घोष ने बताया कि कॉलेज स्ट्रीट केवल किताबों का बाज़ार नहीं, बल्कि विचारों का संगम है। यहाँ हर दुकान, हर पन्ना एक इतिहास कहता है और वही इतिहास अब फिर से लिखा जा रहा है।

इस पहल के ज़रिए एक बार फिर कॉलेज स्ट्रीट की दीवारों पर स्याही का नीला, कागज़ का सफेद और पाठकों के चेहरे पर उम्मीद के सुनहरे रंग लौटेंगे। जब हर टूटे शब्द को फिर से जोड़कर बनाया जाएगा नया वाक्य, तब समझ में आएगा कि यह केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि संस्कृति का पुनर्जन्म है।

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