

केडी पार्थ, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के तहत चुनावी गतिविधियां तेज हैं। जहां वरिष्ठ अधिकारी हावड़ा समेत कई जिलों में सुनवाई केंद्रों का निरीक्षण कर पारदर्शिता सुनिश्चित कर रहे हैं, वहीं बुजुर्ग और अस्वस्थ मतदाताओं के घर जाकर भी सुनवाई हो रही है। दूसरी ओर, हुगली के पोलबा में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते SIR सुनवाई को लेकर विवाद और टकराव सामने आया है।
दासनगर पॉलिटेक्निक और जिला पुस्तकालय में निरीक्षण
ज्ञानेश भारती और एस.बी. जोशी ने हावड़ा के दासनगर सरकारी पॉलिटेक्निक में बनाए गए एसआईआर सुनवाई स्थल पर मतदाताओं से सीधे बातचीत की और प्रक्रिया की पारदर्शिता का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने हावड़ा जिला पुस्तकालय में चल रही एसआईआर सुनवाई का भी निरीक्षण किया। इस दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) हावड़ा और अतिरिक्त सीईओ भी उनके साथ मौजूद थे।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कई हियरिंग सेंटर्स का दौरा किया
डिप्टी कमिश्नर ज्ञानेश भारती ने हावड़ा में कई हियरिंग सेंटर्स का दौरा किया और अधिकारियों को निष्पक्ष एवं सुचारु प्रक्रिया सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। दौरे से पहले उन्होंने सुबह कालीघाट मंदिर में पूजा भी की।
घर-घर जाकर हो रही बुजुर्ग और अस्वस्थ मतदाताओं की सुनवाई
उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुब्रत पाल ने बताया कि दक्षिण दिनाजपुर जिले के 37 कुश्मंडी विधानसभा क्षेत्र में एक बिस्तर पर पड़े मतदाता के घर जाकर एसआईआर सुनवाई की गई। इस दौरान बीडीओ, एईआरओ, एमओ और बीएलओ उपस्थित रहे। इसी तरह बीरभूम जिले के 293 नलहाटी विधानसभा क्षेत्र के नलहाटी-I ब्लॉक में एईआरओ, एमओ और बीएलओ की टीम ने बुजुर्ग मतदाताओं के घर पहुंचकर सुनवाई की।
पोलबा में राजनीतिक टकराव, SIR सुनवाई रोकी गई
दूसरी ओर, हुगली जिले के पोलबा में एसआईआर सुनवाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया। झड़प के बाद तृणमूल कांग्रेस के विधायक असित मजुमदार ने एक बार फिर सुनवाई प्रक्रिया को रुकवा दिया। बताया जा रहा है कि अभिषेक बनर्जी के निर्देश के बाद तृणमूल के बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) को सुनवाई में शामिल करने का दबाव बनाया गया।
‘BLA नहीं होंगे तो सुनवाई नहीं’
पोलबा में एसआईआर सुनवाई के दौरान तृणमूल विधायक असित मजुमदार ने बीडीओ को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि तृणमूल के BLA-2 सुनवाई में मौजूद नहीं होंगे तो प्रक्रिया नहीं चलने दी जाएगी। उन्होंने लिखित आश्वासन की भी मांग की कि बिना बीएलए के सुनवाई नहीं होगी।