वेस्ट बंगाल लैंड रिफॉर्म्स एंड टेनेंसी ट्रिब्यूनल (अमेंडमेंट) बिल पारित
कोलकाता : राज्य सरकार भूमि विवादों को सुलझाने वाले न्यायाधिकरणों का पुनर्गठन कर रही है। विधानसभा में मंगलवार को द वेस्ट बंगाल लैंड रिफॉर्म्स एंड टेनेंसी ट्रिब्यूनल (अमेंडमेंट) बिल, 2025 पारित हो गया। मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि पुनर्गठन इस संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा दी गई सलाह के अनुसार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का न्यायाधिकरण न्यायिक प्राधिकार वाली संस्था है। यह पुनर्गठन हाई कोर्ट में मुकदमों के दबाव को कम करने के लिए किया गया था। कानून में संशोधन से न्यायिक और प्रशासनिक संतुलन बना रहेगा। 1997 के अधिनियम के तहत स्थापित यह न्यायाधिकरण 3 अगस्त 1998 को प्रभावी हुआ। यह कानून पिछली सरकार के समय में तैयार हुआ था। इस कानून को असंवैधानिक कहते हुए हाईकोर्ट में 2009 में एक पीटिशन दाखिल की गयी थी। 2011 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कानून की कुछ धाराओं को असंवैधानिक बताया तथा कुछ संशोधन के प्रस्ताव भी दिये। इस संबंध में 14 जुलाई को हाई कोर्ट ने ऑर्डर दिया। फिर, उस फैसले और प्रस्ताव के आधार पर राज्य ने नये संशोधन करने की पहल की। उच्च न्यायालय की सिफारिशों के अनुसार चयन समिति की संरचना में बदलाव किया गया। संशोधन का उद्देश्य न्यायाधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति, बड़ी पीठ के गठन और सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना भी है। इसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल भूमि सुधार और किरायेदारी न्यायाधिकरण की चयन समिति की संरचना को तर्कसंगत बनाना और न्यायिक और प्रशासनिक पहलुओं के बीच संतुलन लाना है। इससे ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक सदस्यों के पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता में उचित संशोधन करना संभव होगा। विधायक मोहम्मद अली और सुकांत पाल ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लिया। चर्चा के बाद बिल पारित हो गया।