जादवपुर में पीएचडी छात्र प्रवेश विवाद गहराया

जादवपुर में पीएचडी छात्र प्रवेश विवाद गहराया
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केडी पार्थ, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : जादवपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के घेरे में है। आरोप है कि विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और मीडिया विभाग में एक पीएचडी शोधार्थी ने प्रभाव का इस्तेमाल कर दोबारा परास्नातक (मास्टर्स) में प्रवेश पाने की कोशिश की। इस पूरे मामले ने परिसर में हड़कंप मचा दिया है। आरोपी छात्र का नाम संजीव प्रमाणिक है, जो तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।

बिना किसी आपत्ति के मंज़ूरी देने का आरोप

विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार, संजीव प्रमाणिक वर्तमान में इसी विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे हैं। इसके बावजूद उन्होंने पत्रकारिता और मीडिया विभाग में पुनः परास्नातक में प्रवेश के लिए आवेदन किया। आरोप है कि आवेदन मिलते ही उसे बिना किसी आपत्ति के मंज़ूरी दे दी गई और उसके नाम पर एडमिट कार्ड भी जारी कर दिया गया। बताया जाता है कि संजीव ने परीक्षा भी दी और सत्यापन प्रक्रिया पूरी कर ली।

छात्र संगठनों के बीच फैला आक्रोश

जैसे ही यह जानकारी सार्वजनिक हुई, विश्वविद्यालय परिसर में छात्र संगठनों के बीच आक्रोश फैल गया। छात्र संगठनों का आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया अवैध है और प्रशासन पर प्रभाव डालकर की गई है। छात्र संगठन एसएफआई के एक सदस्य ने कहा, हमने देखा है कि मीडिया विभाग में एक तृणमूल नेता जो पहले से पीएचडी कर रहा है, उसे मास्टर्स में भी दाखिला दे दिया गया है। यह पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है। योग्य छात्रों के अवसर इस तरह बर्बाद किए जा रहे हैं। विरोध कर रहे छात्रों ने इस प्रवेश प्रक्रिया को तत्काल रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय को पारदर्शिता बनाए रखते हुए मामले की विस्तृत जांच करनी चाहिए।

सभी आरोपों से किया इनकार

इस बीच, संजीव प्रमाणिक ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से एक प्रशासनिक और तकनीकी त्रुटि का परिणाम है। संजीव ने कहा, मैं पहले से ही एक शोध छात्र हूं। फॉर्म भरते समय तकनीकी गलती हुई, जिसके कारण यह भ्रम पैदा हुआ। मैंने स्वयं विश्वविद्यालय को इस गलती की जानकारी दी है। दूसरी ओर, विश्वविद्यालय के कुछ सदस्यों का दावा है कि संजीव ने पहले ही घोषणा की थी कि वह अब विश्वविद्यालय के छात्र नहीं हैं, फिर भी उनके लिए विशेष बैठक बुलाए जाने की चर्चा चल रही है। आलोचकों का कहना है कि यह “प्रभाव का उपयोग” कर नियमों को दरकिनार करने का उदाहरण है।

अब तक नहीँ आई कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया

जादवपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस विवाद पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि छात्र संगठनों ने स्पष्ट किया है कि जब तक विश्वविद्यालय इस पर ठोस कदम नहीं उठाता, विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। परिसर में बढ़ते विरोध के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन दबाव में है और आने वाले दिनों में इस विवाद पर कोई आधिकारिक घोषणा होने की संभावना जताई जा रही है।

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