"हमे आदिवासी समुदायों से सीख लेनी चाहिए" - राष्ट्रपति मुर्मू ने क्यों कहा ऐसा ?

क्या है सरहुल त्योहार ?
"हमे आदिवासी समुदायों से सीख लेनी चाहिए" - राष्ट्रपति मुर्मू ने क्यों कहा ऐसा ?
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नई दिल्ली - राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जनजातीय समुदाय द्वारा विशेष उत्साह के साथ मनाये जाने वाले वसंत त्योहार सरहुल पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि लोग विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने की सीख लेंगे।

राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर किया पोस्ट

राष्ट्रपति मुर्मू ने एक्स पर पोस्ट किया, "आदिवासी समुदाय द्वारा विशेष उत्साह के साथ मनाए जाने वाले ‘सरहुल’ पर्व के अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। इस पर्व पर प्रकृति के असंख्य उपहारों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। नववर्ष के आगमन के प्रतीक इस पर्व पर मैं सभी के लिए सुख और समृद्धि की कामना करती हूं। मेरी शुभकामना है कि सभी देशवासी आदिवासी समुदायों से सीख लेते हुए प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ें।"

कहा मनाया जाता है सरहुल त्योहार

सरहुल त्योहार आदिवासी समुदायों में सबसे अधिक पूजनीय उत्सवों में से एक है, विशेष रूप से झारखंड, ओडिशा और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में इसे मनाया जाता है। यह प्रकृति की पूजा पर आधारित है और इस दौरान साल के पेड़ों की पूजा की जाती है, जिसका आदिवासी परंपरा में बहुत महत्व है। माना जाता है कि साल के पेड़ में सरना मां का निवास है, जो प्रकृति की शक्तियों से गांवों की रक्षा करने वाली देवी हैं।

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