

नई दिल्ली - मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की जुबान हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान फिसल गई, जिससे उनका बयान विवाद का विषय बन गया। शाजापुर के चौबदार वाड़ी में आयोजित एक सद्भावना सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, तब वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्होंने उस दौर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने करीब दो हफ्ते तक कांग्रेस दफ्तर में रातें बिताईं और घर नहीं गए। हालांकि, इस दौरान बोलते-बोलते उनकी जुबान फिसल गई और उन्होंने कह दिया, "हिंदू-मुसलमानों को जोड़कर हमने दंगा-फसाद होने में पूरी कोशिश की," जबकि उनका आशय 'दंगा रोकने की पूरी कोशिश' करने का था। इस गलत बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का कारण बन गया है।
दंगे करवाने वाले बयान को BJP ने बताया 'कुबूलनामा'
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान को लेकर मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर दिग्विजय सिंह का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह उनका "कबूलनामा" है। मंत्री सारंग ने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह ने बाबरी मस्जिद को "शहीद" कहकर यह साबित कर दिया है कि वे दंगे कराने में शामिल थे। उन्होंने आगे कहा कि दिग्विजय सिंह की सोच पूरी तरह से हिंदू विरोधी है और कांग्रेस पार्टी ने हमेशा देश में दंगे भड़काने का काम किया है।
बाबरी मस्जिद को शहीद बताने वाले बयान पर दिग्विजय की सफाई
वायरल वीडियो को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सफाई दी है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं ने उनके बयान के एक हिस्से को काटकर प्रचारित किया, जबकि असल में उन्होंने दंगा रोकने की बात की थी। दिग्विजय सिंह ने कहा कि पूरा देश जानता है कि वे हमेशा दंगों के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद उन्होंने 15 दिन तक कांग्रेस दफ्तर में रहकर हिंदू और मुसलमानों के साथ मिलकर शांति बनाए रखने की कोशिश की थी।
बाबरी मस्जिद को "शहीद" कहने पर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि उन्होंने यह शब्द जानबूझकर इस्तेमाल किया, क्योंकि अगर किसी धर्मस्थल को जबरन गिराया जाता है, तो उसे और क्या कहा जाएगा।