सुंदरवन कोर एरिया में नहीं बनेगी बीएसएफ की चौकी

राज्य सरकार ने खारिज किया केंद्र का प्रस्ताव
Border Security Force
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कोलकाता: राज्य सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सुंदरवन कोर क्षेत्रों में सीमा चौकी (बीओपी) स्थापित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बीएसएफ ने राज्य के सीमावर्ती जिलों में कुल सात नई बीओपी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था, जिनमें से तीन सुंदरवन के संरक्षित कोर क्षेत्रों में स्थित हैं। राज्य सरकार ने इन तीन विशेष स्थलों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संवेदनशील क्षेत्र घोषित होने के कारण बीएसएफ के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की स्थायी संरचना या मानव गतिविधि की अनुमति नहीं है क्योंकि यह क्षेत्र रॉयल बंगाल टाइगर समेत कई संकटग्रस्त प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब सुंदरवन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संरक्षण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है।

वास्तविक मामला क्या है?

सीमा पर बढ़ते सुरक्षा खतरों और घुसपैठ की बढ़ती समस्या को देखते हुए सीमा सुरक्षा बलों ने सुंदरवन के जटिल बैकवाटर में सात अस्थायी चौकियां स्थापित करने का निर्णय लिया था। बीएसएफ, जिसकी सबसे बाहरी चौकी सुंदरवन के शमशेरनगर में है, जो बंगाल की खाड़ी के मुहाने पर है। बीएसएफ घने मैंग्रोव वन से आच्छादित 157 किलोमीटर क्षेत्र की निगरानी के लिए ऐसी और अस्थायी चौकियां स्थापित करना चाहता है। यह क्षेत्र सीमा पार के अपराधियों का पसंदीदा सेथल है। यहां से आतंकवादी गतिविधियां भी संचालित की जाने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार पिछले महीने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और मुख्य सचिव मनोज पंत की बैठक में नई सीमा चौकी स्थापित करने पर चर्चा हुई थी। उस बैठक के दौरान फ्लोटिंग अउटपोस्ट (तैरती हुई चौकी) स्थापित करने पर भी सहमति बनी थी। प्रस्तावित 7 सीमा चौकियों में बीएसएफ ने सुंदरवन के मुख्य क्षेत्रों में कम से कम 3 सीमा चौकियों का प्रस्ताव रखा था। इस संबंध में राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया, हम बीएसएफ की आवश्यकता को समझते हैं और सीमा सुरक्षा का सम्मान करते हैं, लेकिन पर्यावरणीय संतुलन और वन्य जीवन की सुरक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है। हमने बीएसएफ को कोर क्षेत्र के बाहर वैकल्पिक स्थान प्रस्तावित किए हैं, जहां वह अपनी चौकी स्थापित कर सकता है। वहीं सूत्रों के अनुसार, बीएसएफ इन स्थलों को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मान रहा था, क्योंकि ये तस्करी और अवैध घुसपैठ की दृष्टि से संवेदनशील हैं। हालांकि, राज्य सरकार के वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की संरचना पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन होगी। इस मुद्दे पर राज्य और केंद्र के बीच समन्वय बैठकों की संभावना जताई जा रही है ताकि सुरक्षा और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके।

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