संसद पर भी था वक्फ का दावा, वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन होता तो देश की तकदीर बदल जाती: रीजीजू

वक्फ बोर्ड मस्जिद सहित किसी धार्मिक संस्था के किसी धार्मिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे
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नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को कहा कि अगर वह वक्फ संशोधन विधेयक नहीं लाती तो संसद भवन सहित कई इमारतें दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास चली जातीं और कांग्रेस के शासनकाल में वक्फ संपत्तियों का सही से प्रबंधन होता तो केवल मुसलमानों की ही नहीं बल्कि देश की तकदीर भी बदल जाती।

वक्फ बोर्ड मस्जिद के किसी धार्मिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे

अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए यह भी कहा कि इसके माध्यम से सरकार और वक्फ बोर्ड मस्जिद सहित किसी धार्मिक संस्था के किसी धार्मिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों के दावों को खारिज करते हुए कहा कि 1995 में जब कई संशोधनों के साथ व्यापक कानून बनाया गया था, तब किसी ने नहीं कहा था कि यह असांविधानिक और गैरकानूनी है।

लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा

रीजीजू ने कहा कि आज हम इसे सुधार कर ला रहे हैं तो यह असांविधानिक लग रहा है। तर्कों पर बात कीजिए। जिन बातों का विधेयक से कोई लेनादेना नहीं, उन पर बात की जा रही है और लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार मस्जिद, दरगाह और मुसलमानों की संपत्तियों को छीन लेगी जो पूरी तरह गुमराह करने वाली बात है।

विधेयक पूर्वगामी प्रभाव से लागू नहीं होगा

रीजीजू ने साफ किया कि यह विधेयक पूर्वगामी प्रभाव से लागू नहीं होगा। उन्होंने इस विधेयक की जरूरत के कारण गिनाते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले 2013 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाये जिनसे कई संपत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास चली जातीं। रीजीजू ने कहा कि 2013 में पहली बार वक्फ कानून में यह बदलाव किया गया कि इस देश में किसी भी धर्म का व्यक्ति वक्फ बना सकता है।

शिया वक्फ में शिया ही रहेंगे

उन्होंने कहा कि इनके अलावा ऐसे प्रावधान किए गए कि शिया वक्फ में शिया ही रहेंगे, सुन्नी वक्फ में सुन्नी ही रहेंगे तथा बाहर से कोई और नहीं आ सकता। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा, ‘‘एक धारा में तो यह तक लिखा गया कि वक्फ बोर्ड का कानून किसी भी मौजूदा कानून के ऊपर रहेगा। इस देश में ऐसा कानून कैसे मंजूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्थित इस संसद भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स सहित कई संपत्तियों पर दिल्ली वक्फ बोर्ड का दावा था।

वक्फ संपत्तियों को बेकार नहीं पड़े रहने नहीं दिया जा सकता

उन्होंने कहा कि 2006 में 4.9 लाख वक्फ संपत्ति देश में थीं और इनसे कुल आय मात्र 163 करोड़ रुपये की हुई, वहीं 2013 में बदलाव करने के बाद भी आय महज तीन करोड़ रुपये बढ़ी। रीजीजू ने कहा कि देश इसे कभी मंजूर नहीं कर सकता। वक्फ संपत्तियों को बेकार नहीं पड़े रहने नहीं दिया जा सकता। गरीब और आम मुसलमानों के लिए इसका इस्तेमाल करना ही होगा। उन्होंने कहा कि आज देश में कुल 8.72 लाख वक्फ संपत्ति हैं।

आदिवासियों की जमीन को वक्फ संपत्ति नहीं बना सकते

इस विधेयक में यह महत्वपूर्ण प्रावधान रखा गया है कि महिलाओं और बच्चों के अधिकार सुरक्षित करके ही वक्फ बनाया जा सकता है, वहीं आदिवासियों की जमीन को वक्फ संपत्ति नहीं बना सकते। इस कानून की सबसे दमनकारी धारा किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के प्रावधान वाली थी जिसका इस्तेमाल कुछ लोग अपने फायदे के लिए करते थे, गरीबों के लिए नहीं। कानून में ऐसी ही कुछ विसंगतियां थीं जिसके लिए यह विधेयक लाया जा रहा है।

वक्फ बोर्ड को धर्मनिरपेक्ष और समावेशी बनाया जा रहा

उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक के कुछ प्रस्तावित प्रावधान गिनाते हुए कहा कि वक्फ वही बना सकता है जिसने कम से कम पांच साल इस्लाम की ‘प्रैक्टिस’ की हो। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड को धर्मनिरपेक्ष और समावेशी बनाया जा रहा है जिसमें शिया, सुन्नी और बोहरा आदि सभी के प्रतिनिधि होंगे। उन्होंने कहा कि इसमें पिछड़े मुसलमान, महिलाएं, गैर-मुस्लिम विशेषज्ञ भी रहेंगे। उन्होंने विपक्ष से विधेयक का समर्थन करने का आग्रह करते हुए कहा कि देश सदियों तक याद रखेगा कि किसने विधेयक का समर्थन किया और किसने नहीं। 70 साल तक आपने (विपक्ष ने) मुसलमानों को वोट बैंक के लिए गुमराह किया और कब तक ऐसा करेंगे। रीजीजू ने कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद सबके मन में नए सवेरे की उम्मीद जागेगी और नए कानून का नाम भी ‘उम्मीद’ किया जा रहा है।

कांग्रेस के समय संसदीय समितियां केवल ठप्पा लगाती थीं : शाह

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति के विचार-विमर्श करने की पृष्ठभूमि में गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस की सरकार के समय संसद की समितियां केवल ठप्पा लगाती थीं लेकिन आज वे लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा करके परिवर्तन करती हैं। शाह ने कहा कि भारत सरकार के मंत्रिमंडल ने सबसे पहले इस संबंध में एक विधेयक को मंजूरी दी थी जिसे पूर्व में सदन के सामने रखा गया था। उन्होंने कहा कि विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया, जिसके लिए विपक्ष ने भी आग्रह किया था। समिति ने इस पर सुविचारित रूप से अपना मत प्रकट किया। उसके सुझाव के अनुसार विधेयक को फिर से मंत्रिमंडल के सामने भेजा गया।

प्रस्तावित कानून से मुकदमेबाजी बढ़ेगी: कांग्रेस

कांग्रेस के गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि एक विशेष समुदाय की जमीन पर सरकार की नजर है। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा वक्फ कानून में संशोधन होने पर देश में मुकदमेबाजी बढ़ेगी। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि वे यह नहीं कर रहे हैं कि संशोधन की जरूरत नहीं है बल्कि संशोधन होना चाहिए और हम इसके ‘विरोध में नहीं’ हैं। इस कानून को और मजबूत बनाने के लिए होना चाहिए लेकिन इस विधेयक से देश में और समस्या बढ़ेगी, मसले बढ़ेंगे और मुकदमेबाजी भी बढ़ेगी। उन्होंने रीजीजू पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने अपने भाषण में राजनीतिक आरोप लगाये और सदन को गुमराह किया। गोगोई ने कहा कि जेपीसी में ऐसे भी लोग थे, जिन्हें वक्फ की कोई जानकारी नहीं थी।

सरकार का अपनी नाकामी पर पर्दा डालने की कोशिश : अखिलेश

सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक लायी और यह सत्तारूढ़ भाजपा का ‘सियासी हठ’ है तथा ‘उसकी सांप्रदायिक राजनीति का एक नया रूप’ है। उन्होंने कहा कि वक्फ से जुड़े जिन मुद्दों पर फैसला लिया जाना था उन्हें इस विधेयक में अहमियत नहीं दी गयी है। अखिलेश ने ‘नोटबंदी’ के केंद्र के फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि बहुत तैयारी के साथ आये थे, फैसला लिया था कि आधी रात के बाद नोट नहीं चलेंगे लेकिन अभी भी कितनी जगह से कितना रुपया निकल रहा। उन्होंने कहा कि वक्फ की जमीन से बड़ा मुद्दा वह जमीन है जिस पर चीन ने अपने गांव बसा लिए हैं। लेकिन कोई भी इस बाहरी खतरे पर सवाल-बवाल न करे, इसलिए यह विधेयक लाया गया। अखिलेश ने कहा कि मंत्री (किरेन रीजीजू) उसी सीमावर्ती राज्य अरूणाचल प्रदेश से आते हैं। वे बतायें कि कितनी जमीन पर चीन ने गांव बसा लिए हैं।

विपक्षी दल देश में माहौल खराब कर रहे : ललन सिंह

जद-यू के सांसद एवं पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने विधेयक को उनकी पार्टी के पूर्ण समर्थन की घोषणा करते हुए लोकसभा में बुधवार को कहा कि विपक्षी दल इस विधेयक को लेकर एक अलग तरह का विमर्श गढ़ने की और देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि देश में ऐसा विमर्श गढ़ा जा रहा है कि यह विधेयक मुसलमान विरोधी है जबकि हकीकत यह है कि इसके पारित होने के बाद मुस्लिम समुदाय के हर वर्ग के हितों की रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि वक्फ कोई मुस्लिम संस्था नहीं बल्कि एक न्यास है, जिसे मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था।

वक्फ धार्मिक संस्था नहीं वैधानिक संस्था : रविशंकर

भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने वक्फ को धार्मिक संस्था के बजाय ‘वैधानिक संस्था’ करार देते हुए कहा कि मौजूदा कानून में संशोधन के जरिये यदि पिछड़े मुसलमानों को भी इसमें जगह देने की बात कही जा रही है तो इसमें विपक्षी दलों को क्या परेशानी है। उन्होंने कहा कि देश में वक्फ की आठ लाख संपत्ति है लेकिन इनमें से कितने पर स्कूल, अस्पताल बने, कौशल विकास केंद्र खोले गये, अनाथालय बने और विधवाओं या बेटियों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने की व्यवस्था की गयी? उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें लिखा है कि सरकार महिलाओं के विकास के लिए कानून बना सकती है, अब वक्फ में उनकी भूमिका के लिए कानून लाया जा रहा तो यह गैर कानूनी कैसे हो गया।

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