

नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को ‘विकसित भारत -जी राम जी’ विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह जानकारी दी। विपक्ष के विरोध के बीच संसद ने वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025 को पारित किया था। इसका उद्देश्य मौजूदा ग्रामीण रोजगार कानून ‘मनरेगा’ को प्रतिस्थापित करना है और प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति वित्त वर्ष 125 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करना है। सरकार के अनुसार, इस नयी योजना का लक्ष्य ‘विकसित भारत-2047’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है।
नाम पर कांग्रेस का कड़ा विरोध
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते इस बिल को लेकर काफी हंगामा मचा था। बिल पर देत रात तक संसद में चर्चा चली थी। इस मामले में विपक्ष का कहना था कि सरकार जानबूझकर मनरेगा का नाम बदल रही है, मनरेगा में महात्मा गांधी का भी नाम आता था, इसीलिए भाजपा इस नाम को हटाने के लिए ये बिल लाई। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने लगातार बिल के नामकरण को लेकर आपत्ति जतायी थी। लेकिन वहीं, सरकार का कहना था कि पहले की योजना में लोगों को 100 दिन का काम दिया जाता था। लेकिन अब इस कानून के तहत अब कम से कम 125 दिन काम देना आनिवार्य है।
सरकार की जिम्मेवारी बढ़ी
इस कानून के मुताबिक अब पात्र ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिन तक मजदूरी आधारित काम उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। इसका सीधा उद्देश्य गांवों में रहने वाले श्रमिकों, किसानों और भूमिहीन परिवारों की आय बढ़ाना और उन्हें आर्थिक सुरक्षा देना है। सरकार का कहना है कि इससे गांवों में गरीबी कम होगी और लोगों को अपने ही क्षेत्र में काम मिलेगा।
2005 में यूपीए लाया था नरेगा
गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार साल 2005 में मनरेगा कानून लेकर आई थी जिसके तहत ग्रामीण इलाके के परिवारों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी थी। नए अधिनियम में साल में 125 दिन रोजगार गारंटी करने का प्रस्ताव है। लेकिन विपक्ष का इस बिल को लेकर गांधी जी नाम के अलावा दूसरी बड़ी आपत्ति केंद्र सरकार को राज्यों की तुलना में 'ज़्यादा अधिकार' देना है जबकि राज्य सरकारों को पहले की तुलना में 'ज़्यादा पैसा' खर्च करना होगा।