

कोलंबो : श्रीलंका के कैथोलिक चर्च ने कहा है कि वेटिकन ने छह साल पहले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े आत्मघाती बम विस्फोटों में मारे गए अपने 167 अनुयायियों को ‘धर्म साक्षी’ के रूप में नामित किया है। हमलों में मारे गए लोगों की याद में सोमवार को ईसाई, बौद्ध, हिंदू और इस्लाम धर्म से जुड़े सैकड़ों लोगों ने सेंट एंथनी चर्च में एक प्रार्थना सभा में भाग लिया।
कोलंबो के आर्कबिशप कार्डिनल मैल्कम रंजीत ने उपस्थित लोगों को बताया कि वेटिकन ने कोलंबो स्थित सेंट एंथनी और नेगोम्बो स्थित सेंट सेबेस्टियन गिरजाघरों में बम विस्फोटों में मारे गए 167 कैथोलिक लोगों के नाम अपनी ‘ऑर्डर बुक’ में ‘धर्म साक्षी’ के रूप में शामिल किए हैं। रंजीत ने यह भी कहा कि अन्य धर्मों के सात मृतकों को भी ‘सम्मानपूर्वक याद किया गया।’ अपने धर्म के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले लोगों को ईसाई धर्म में ‘धर्म साक्षी’ कहा जाता है।
कैथोलिक धर्म का पालन करते हुए जान गंवाने वाले लोगों के लिए चर्च से मान्यता की संबंधित नयी श्रेणी को पोप फ्रांसिस ने 2023 में औपचारिक रूप दिया था और ऐसे मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए एक विशेष वेटिकन आयोग का गठन किया था। श्रीलंका में 21 अप्रैल, 2019 को ‘ईस्टर संडे’ के दौरान तीन पर्यटक होटलों और तीन गिरजाघरों (दो कैथोलिक और एक प्रोटेस्टेंट) में लगभग एक साथ हुए बम विस्फोटों में 42 विदेशियों सहित 260 से अधिक लोग मारे गए थे। ब्रिटिश टेलीविजन चैनल 4 द्वारा एक व्यक्ति का साक्षात्कार लिए जाने के बाद श्रीलंका में कैथोलिक चर्च ने हमलों की आगे की जांच की मांग की है।
साक्षात्कार में संबंधित व्यक्ति ने कहा कि उसने इस्लामिक स्टेट से प्रेरित स्थानीय संगठन ‘नेशनल तौहीद जमात’ और एक शीर्ष सरकारी खुफिया अधिकारी के बीच एक बैठक की व्यवस्था की थी, जिसका उद्देश्य श्रीलंका में असुरक्षा पैदा करने और पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को उसी वर्ष बाद में राष्ट्रपति चुनाव जीतने में सक्षम बनाने की साजिश रचना था।