बाघ संरक्षण के प्रयासों में अग्रणी रहे वाल्मीक थापर का निधन

जाने क्या है पूरा मामला
बाघ संरक्षण के प्रयासों में अग्रणी रहे वाल्मीक थापर का निधन
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नई दिल्ली : देश के सबसे प्रख्यात वन्यजीव संरक्षणवादियों और लेखकों में से एक वाल्मीक थापर का शनिवार सुबह उनके आवास पर निधन हो गया। वे 73 वर्ष के थे।

नयी दिल्ली में 1952 में जन्मे थापर ने अपना जीवन खासकर राजस्थान के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के अध्ययन और संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने 1988 में ‘रणथंभौर फाउंडेशन’ की सह-स्थापना की जो समुदाय-आधारित संरक्षण प्रयासों पर केंद्रित एक गैर-सरकारी संगठन है। थापर के पिता रोमेश थापर एक जाने-माने पत्रकार थे और उनकी बुआ इतिहासकार रोमिला थापर हैं। वाल्मीक थापर ने दून स्कूल से पढ़ाई की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से समाजशास्त्र में स्वर्ण पदक के साथ स्नातक किया। थापर ने अभिनेता शशि कपूर की बेटी एवं रंगमंच कलाकार संजना कपूर से शादी की और उनका एक बेटा है।

भारतीय संरक्षण प्रयासों से जुड़ी अहम हस्ती और मूल ‘प्रोजेक्ट टाइगर टीम’ के प्रमुख सदस्य फतेह सिंह राठौर वाल्मीक थापर के मार्गदर्शक थे। वे 150 से अधिक सरकारी समितियों और कार्य बलों का हिस्सा थे, जिनमें राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड भी शामिल है। इस बोर्ड का नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं। थापर ने वन्यजीवों पर 30 से अधिक पुस्तकें लिखीं या संपादित कीं जिनमें ‘लैंड ऑफ द टाइगर: ए नेचुरल हिस्ट्री ऑफ द इंडियन सबकॉन्टिनेंट‘ (1997) और ‘टाइगर फायर: 500 इयर्स ऑफ द टाइगर इन इंडिया’ शामिल हैं।

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