ब्रिटेन की अदालत ने चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस को सौंपे जाने पर पहले रोक लगाई, फिर हटाई

पहले लगाई थी रोक फिर अचानक हटाई
ब्रिटेन की अदालत ने चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस को सौंपे जाने पर पहले रोक लगाई, फिर हटाई
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लंदन : ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस को सौंपने पर पहले रोक लगा दी और बाद में हटा भी ली। दोनों देशों के नेताओं द्वारा गुरुवार को समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने से कुछ घंटे पहले, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने हस्तांतरण पर रोक लगाने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया था। हालांकि सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने कहा कि रोक हटा दी जानी चाहिए।

ब्रिटेन ने हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने पर सहमति जताई है। यहां सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक और बमवर्षक अड्डा है। इसके बाद ब्रिटेन कम से कम 99 वर्षों के लिए इस अड्डे को पुनः पट्टे पर ले सकेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से इस संबंध में परामर्श लिया गया था और उसने अपनी स्वीकृति दे दी, लेकिन लागत को लेकर अंतिम क्षणों में बातचीत के बाद सौदे को अंतिम रूप देने में देरी हुई।

गुरुवार सुबह एक डिजिटल समारोह में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर करने थे। उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने लेकिन समझौते पर रोक लगाते हुए निषेधाज्ञा जारी कर दी। द्वीप के मूल निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली दो महिलाओं के दावे पर यह फैसला आया। इस द्वीप के मूल निवासियों को अमेरिकी बेस बनाने का रास्ता साफ करने के लिए दशकों पहले निकाल दिया गया था।

ब्रिटिश नागरिक बर्नाडेट डुगासे और बर्ट्राइस पोंप को आशंका है कि द्वीपसमूह के मॉरीशस के नियंत्रण में आने के बाद उनका लौटना और भी मुश्किल हो जाएगा। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जूलियन गूज ने ब्रिटिश सरकार को चागोस द्वीपसमूह के रूप में भी जाने जाने वाले ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र को किसी विदेशी सरकार को सौंपने के संबंध में उसकी बातचीत को समाप्त करने के लिए कोई भी “निर्णायक या कानूनी रूप से बाध्यकारी कदम” उठाने से अस्थायी रूप से रोक दिया।

उन्होंने कहा, ‘प्रतिवादी को अगले आदेश तक ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र पर ब्रिटेन (यूके) के अधिकार क्षेत्र को बनाए रखना होगा।’ ब्रिटेन की सरकार ने कहा, ‘हम जारी कानूनी मामलों पर टिप्पणी नहीं करते। यह समझौता ब्रिटेन के लोगों की रक्षा करने और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सही चीज है।’ ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम अवशेषों से एक चागोस द्वीपसमूह 1814 से ब्रिटेन के नियंत्रण में रहा है। ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस से इस द्वीपसमूह को अलग कर दिया था। मॉरीशस को इसके तीन साल बाद स्वतंत्रता मिली।

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