उदन्त मार्त्तंड ने किया है जनमानस की चेतना को प्रज्वलित : राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य

कहा, हिंदी के साधकों ने आजादी के आंदोलन में दिया है अनुपम योगदान
उदन्त मार्त्तंड ने किया है जनमानस की चेतना को प्रज्वलित : राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य
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केडी पार्थ

असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने कहा कि हिंदी अखबार उदन्त मार्त्तंड ने भारत के लोगों में जनमानस की चेतना को प्रज्वलित किया है। बंगाल की धरती पर दो सौ साल पहले हिंदी में समाचार पत्र निकालना एक साहसिक प्रयास था। शुक्रवार, 30 मई को इस अखबार का दो सौ साल पूरा हुआ। इस महत्वपूर्ण दिन को याद करते हुए आचार्य ने कहा कि आज का दिन केवल एक तिथि नहीं है बल्कि यह विचारधारा, प्रतिबद्धता और संघर्ष की यात्रा को स्मरण करने का दिन है। यात्रा उस कलम की है जो कभी गुलामी के अंधकार में विशाल बनी तो कभी लोकतंत्र के मंदिर में प्रहरी बनकर खड़ी रही। हिंदी पत्रकारिता का प्रारम्भ एक स्वाभिमान की शुरुआत थी जिसकी नीव 30 मई, 1826 को कोलकाता से प्रकाशित उदन्त मार्त्तंड के माध्यम से हुई।

दो सौ साल पहले हिंदी में समाचार पत्र निकालना था एक साहसिक प्रयास

आज से दो सौ साल पहले विकट परिस्थिति में बंगाल की धरा पर हिंदी में समाचार पत्र निकालना केवल ऐतिहासिक प्रयोग नहीं था, बल्कि भारत के जनमानस की चेतना को जलाने का साहसिक प्रयास था। यह एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने हिंदी को केवल एक भाषा नहीं बल्कि एक आंदोलन बना लिया। हिंदी पत्रकारिता ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अविश्वमरणीय भूमिका निभाई है। हिंदी के साधकों ने आजादी के आंदोलन में अनुपम और अद्वितीय योगदान दिया है। गणेश शंकर विद्यार्थी, महात्मा गाँधी, बाबू राव, पंडित मदन मोहन मालवीय, बालमुकुंद गुप्त जैसे मनुष्यों ने पत्रकारिता को सत्यसंगत और सेवा का माध्यम बनाया। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान (उत्तर प्रदेश सरकार),भारतीय भाषा परिषद (कोलकाता), काशी-वाराणसी विरासत फाउंडेशन (बनारस) व केंद्रीय हिन्दी संस्थान (आगरा) के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी पत्रकारिता: प्रथम समाचार पत्र 'उदन्त मार्त्तण्ड ' द्विशताब्दी वर्ष पर केंद्रित दो दिवसीय भारत : साहित्य एवं मीडिया महोत्सव का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बात कही।


विष्णुकांत शास्त्री व डा.कृष्ण बिहारी मिश्र को समर्पित था यह महोत्सव यह महोत्सव

वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य विष्णुकांत शास्त्री व पद्मश्री से सम्मानित डा.कृष्ण बिहारी मिश्र को समर्पित था। इस अवसर पर राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने डा. हरि प्रसाद कानोड़िया की पुस्तक आत्मबोध: सेवा माध्यम से अंतर्यात्रा ,डा.नीलम शर्मा की पुस्तक प्रिय कहो, कौन सा गीत सुनाऊ? व पत्रकारिता पर आधारित एक स्मारिका का विमोचन किया। डा.प्रेम शंकर त्रिपाठी ने आचार्य विष्णुकांत शास्त्री व डा.कृष्ण बिहारी मिश्र के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विचार रखे। कार्यक्रम के संयोजक राम मोहन पाठक ने कहा कि विरासत बताती है कि पत्रकारिता की साख और सरोकार को बनाए रखना ही उसका मुख्य उद्देश्य है। पत्रकार व गायक ओमप्रकाश मिश्र ने सरस्वती वंदना व आचार्य शास्त्री द्वारा लिखित गीत की प्रस्तुति दी।


हिन्दी पत्रकारिता की विकास यात्रा पर हुई चर्चा

दूसरे सत्र में उदन्त मार्तण्ड की विरासत और हिन्दी पत्रकारिता की विकास यात्रा पर चर्चा हुई। डा.अमिता दुबे ने कहा कि आज दैनिक समाचार पत्रों साहित्य का स्थान कम होता जा रहा है। यह चिन्ता की बात है। शिक्षक पुरुषोत्तम तिवारी ने कहा कि उदन्त मार्त्तण्ड और हिन्दी पत्रकारिता की मूल विरासत और प्रतिज्ञा राष्ट्रीय चेतना है। तीसरे सत्र में व्यक्तित्व चर्चा के अंतर्गत वरिष्ठ पत्रकार व कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष स्नेहाशीष सूर ने अपने विचार खुल कर रखे। इस मौके पर राज्यपाल ने उनको सम्मानित भी किया।

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