राजस्थान की दो और नमभूमियों को रामसर टैग - भारत में कुल संख्या हुई 91

जान क्या है मामला
राजस्थान की दो और नमभूमियों को रामसर टैग - भारत में कुल संख्या हुई 91
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नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत को एक और उपलब्धि मिली है दो और वेटलैंड (नम भूमि) को रामसर टैग मिला है। दोनों नमभूमि राजस्थान में हैं। एक फलोदी जिले के खींचन में है तो दूसरी उदयपुर जिले के मेनार में है। केंद्रीय पर्यावरण, वन्य जीव एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोशल मीडिया पर बताया कि पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर मिले दो रामसर टैग से भारत रामसर वैट लैंड की संख्या अब 91 हो गयी है। राजस्थान में चार रामसर वेटलैंड हैं। मेनार की विशेषता यह है कि यहां के स्थानीय लोग स्वयं अपनी नम भूमि का संरक्षण करते हैं, किसी को यहां अवैध शिकार नहीं करने देते और मछली नहीं पकड़ने देते। मेनार को पक्षियों का गांव भी कहा जाता है। दूसरा खींचन रात्रि नदी और विजय सागर तालाब तथा झाड़ीदार भूमि से मिलाकर बना है। यहां प्रवासी पक्षियों की लगभग 150 प्रजातियां आती हैं।

रामसर टैग देने की परंपरा 1971 में ईरान के रामसर में एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर के बाद से शुरू हुई थी। जो देश अपनी नम भूमियों को संरक्षित रखते हैं और जैविक विविधता को बनाए रखते हैं, पक्षियों और वन्य जीवों को संरक्षण देते हैं, उनकी नम भूमियों को रामसर टैग दिया जाता है। राजस्थान में अब चार रामसर नमभूमि हैं, इससे पहले दो और नम भूमियों को रामसर टैग मिल चुका है।

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