

कोलकाता: रथ यात्रा के पावन अवसर पर इस बार धार्मिक आस्था के साथ-साथ सियासी गर्मी भी देखने को मिल सकती है। इस मौके पर जहां 27 जून को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तटीय शहर दीघा में आयोजित रथ यात्रा में शरीक होंगी, वहीं उसी दिन, केंद्रीय सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडिशा के पुरी धाम में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में भाग ले सकते हैं। यह संयोग नहीं बल्कि इसे राजनीतिक रणनीति माना जा रहा है, जिससे देश के सबसे प्रभावशाली दोनों नेता - दीघा से पूरी महज़ 350 किलोमीटर की दूरी पर अपनी-अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
ओडिशा के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को किया था आमंत्रित
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका आने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि उनके लिए ओडिशा का दौरा अधिक महत्वपूर्ण है। बिहार में चुनावी बिगुल फूंकने वाले मोदी इस दिन अपना कोलकाता दौरा रद्द करते हुए भुवनेश्वर पहुंचे, जहां उन्होंने कहा, मैंने भगवान जगन्नाथ की धरती पर आने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया। इस संबंध में केंद्रीय सूत्रों से मिली जानकारी से मोदी 27 जून को रथ यात्रा के दौरान पुरी जा सकते हैं। पिछले महीने ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुरी में विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा उत्सव में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। सूत्रों के अनुसार यदि कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी रथ यात्रा के दौरान पुरी का दौरा करेंगे। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन सूत्रों के अनुसार इसकी प्रबल संभावना है। यह फैसला स्पष्ट रूप से भगवान जगन्नाथ और ओडिशा की जनता के प्रति मोदी की आस्था और राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बंगाल की अस्मिता को बरकार रखना है ममता का लक्ष्य
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहली बार दीघा में रथ यात्रा समारोह में भाग लेंगी। अप्रैल में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के बाद यह उनका दूसरा दौरा होगा। इस बार दीघा की रथ यात्रा को भव्य रूप देने की तैयारी की जा रही है और इसे 'बंगाल की आस्था' के रूप में पेश किया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 27 जून को देश दो प्रमुख राजनेताओं के आस्था और प्रभाव के प्रदर्शन का गवाह बनेगा। एक तरफ मोदी का पुरी में धार्मिक कद तो दूसरी तरफ ममता की बंगाल में सांस्कृतिक पकड़। दोनों ही नेता अपनी-अपनी जगह जनसंपर्क और भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। रथ यात्रा इस बार केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि राजनीतिक शक्ति परीक्षण का मंच बनता दिख रहा है।