ट्रंप ने फिर गिराया भारत पर ‘टैरिफ बम’, भारतीय धतु निर्यात को बनाया निशाना

भारत से स्टील और एल्यूमीनियम आयात पर दो गुना किया टैरिफ
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ट्रंप का टैरिफ बम
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नयी दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘वैश्विक व्यापार युद्ध’ की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर अमेरिकी टैरिफ को दोगुना कर भारत पर फिर ‘टैरिफ बम’ गिराया है। ट्रंप ने आगामी 4 जून से स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। इस फैसले का भारतीय धातु निर्यात पर सीधा असर पड़ने की आशंका है।

भारत के स्टील और एल्यूमीनियम निर्यातकों के लिए बड़ा झटका

भारत ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में जवाबी शुल्क लगाने का संकेत दिया है। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिकी घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा। पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका आर्थिक राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दे रहा है। ट्रंप की यह नीति भारत के स्टील और एल्यूमीनियम निर्यातकों के लिए बड़ा झटका है। इससे उनकी लाभप्रदता कम हो जायेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति भारत पर एक प्रत्यक्ष हमला है और इसके गंभीर आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने इसे सीधा हमला करार देते हुए कहा कि इससे मार्जिन कम होगा और प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी।

ट्रंप की टैरिफ नीति

ट्रंप की शुल्क नीति के लिए तीन अमेरिकी कानूनी उपकरण अहम हैं। वर्ष 1974 के अमेरिकी व्यापार अधिनियम की धारा 301 अमेरिका को अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ शुल्क लगाने की अनुमति देती है, जो विशेष रूप से चीन को लक्ष्य करती है। वर्ष 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों पर केंद्रित है। इसका इस्तेमाल स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोटिव इम्पोर्ट पर टैरिफ लगाने के लिए किया गया है। अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (आईईईपीए) राष्ट्रपति को व्यापक रूप से शुल्क लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियां देता है। इसका इस्तेमाल ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ शुरू करने के लिए किया। ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ में 10 फीसदी का ब्लैंकेट टैरिफ और 57 देशों से आयात पर विशिष्ट देश के लिए ऊंचे टैरिफ (जैसे भारत पर 26 फीसदी और चीन पर 245 फीसदी तक) शामिल थे।

‘लिबरेशन डे’ टैरिफ अवैध!

हालांकि गत 28 मई को अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने फैसला सुनाया कि आईईईपीए-आधारित ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ अवैध हैं, जिसमें कहा गया था कि व्यापार घाटा आईईईपीए के तहत आवश्यक ‘असामान्य और असाधारण खतरे’ मानक को पूरा नहीं करता है लेकिन न्यायालय ने धारा 232 टैरिफ को गैरकानूनी नहीं ठहराया। इससे ट्रंप को अदालत के हस्तक्षेप के तत्काल जोखिम के बिना स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ बढ़ाने की अनुमति मिल गयी।

जवाबी कदम उठायेगा भारत!

भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को 4.56 अरब डॉलर के लोहे, स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों का निर्यात किया। इसमें 587.5 मिलियन डॉलर का लोहा और स्टील, 3.1 अरब डॉलर का लोहे या स्टील का सामान और 860 मिलियन डॉलर का एल्यूमीनियम और संबंधित सामान जैसी प्रमुख श्रेणियां शामिल हैं। इन निर्यातों को अब भारी अमेरिकी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है। इससे भारतीय उत्पादकों और निर्यातकों की लाभप्रदता खतरे में है। हालांकि भारत ने डब्ल्यूटीओ में एक औपचारिक नोटिस जारी कर पहले ही एक औपचारिक कदम उठाया है। इसमें पहले के स्टील टैरिफ के जवाब में अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगाने के अपने इरादे का संकेत दिया गया है।

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