भारत-भूटान सीमांचल में ट्रैफिक जाम की समस्या, प्रशासन की नाकामी पर भड़के लोग

भारत-भूटान सीमांचल में ट्रैफिक जाम की समस्या, प्रशासन की नाकामी पर भड़के लोग
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सन्मार्ग संवाददाता

जयगांव : भारत-भूटान सीमांचल क्षेत्र, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के जयगांव से भूटान के फुंतशोलिंग को जोड़ने वाला मार्ग, इन दिनों एक बेहद गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। यह समस्या अब इतनी विकराल हो चुकी है कि यह केवल एक स्थानीय असुविधा नहीं रही, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई है। यह समस्या जयगांव की सड़कों पर आए दिन लगने वाले ट्रैफिक जाम है। हालांकि भारी ट्रकों और कंटेनरों की अनियंत्रित आवाजाही जारी है। भूटान जाने वाले अधिकांश वाणिज्यिक वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन इनकी आवाजाही पर कोई स्पष्ट नियंत्रण नहीं दिखता। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह सड़क 'वीआईपी मार्ग' के रूप में जानी जाती है और यहां सामान्यतः हल्के वाहनों की ही आवाजाही होनी चाहिए। इसके बावजूद भारी ट्रक और कंटेनर दिन-रात इस मार्ग पर दौड़ते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में अव्यवस्था फैल जाती है। यहां केवल ट्रैफिक जाम ही नहीं, बल्कि इन भारी वाहनों के चलते स्थानीय लोग सड़क हादसों को लेकर भी चिंतित हैं। कई नागरिकों ने बताया कि बीते कुछ महीनों में ऐसे कई मौके आए जब बड़ी दुर्घटनाएं होते-होते टलीं। तेज गति से दौड़ते ट्रकों और संकरी सड़कों के बीच छोटे वाहनों, पैदल यात्रियों और स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा हमेशा खतरे में बनी रहती है। इसे लेकर स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए पहले से ही एक वैकल्पिक मार्ग तोर्सा मोड़ और तोर्सा नदी के रास्ते निर्धारित किया गया है। हकीकत यह है कि अब भी अधिकांश बड़े वाहन पुराने पारंपरिक मार्ग से ही गुजरते हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ कागजों पर योजनाएं बनाकर बैठा है, जबकि धरातल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। लोग अब खुलकर सवाल कर रहे हैं। क्या बड़े ट्रक यूं ही शहर की सड़कों पर चलते रहेंगे? क्या इन वाहनों के लिए कोई वैकल्पिक और व्यवस्थित मार्ग नहीं तैयार किया जा सकता? आखिर कब तक जनता को इस परेशानी का सामना करना पड़ेगा? यह मार्ग न केवल एक आम सड़क है, बल्कि भारत और भूटान के बीच वाणिज्यिक, कूटनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु है। सीमावर्ती व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इसी मार्ग से होता है। ऐसे में यह ट्रैफिक जाम अब सिर्फ स्थानीय नागरिकों की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, व्यापार और कूटनीतिक संबंधों को भी प्रभावित करने वाला मुद्दा बन चुका है। फिलहाल, इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं दिखता। कुछ सामाजिक संगठनों और स्थानीय व्यापारियों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर वैकल्पिक मार्गों को सक्रिय करने और भारी वाहनों पर समयबद्ध प्रतिबंध लगाने की मांग की है, लेकिन सवाल यही है कि प्रशासन इन मांगों पर कितना गंभीरता से विचार करेगा।

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