

निमता : 21 जुलाई शहीदों का दिवस है। वे शहीद जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिये क्योंकि बंगाल की जनता अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सके, वोट दे सके। अतः यह कोई राजनीतिक नहीं बल्कि इन शहीदों के प्रति श्रद्धाजंलि देने का दिवस है। ममता बनर्जी इसके महत्व को समझती हैं और वे सालों से धर्मतल्ला में शहीदों को उनके अवदान के लिए याद करती हैं। अतः जो लोग इस दिवस को लेकर राजनीति करते हैं, उन्हें अपनी आंखें खोलने की जरूरत है। तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष विवेक गुप्त ने अपने वक्तव्य में उक्त बातें कहीं। वे तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ उत्तर 24 परगना जिला मुख्यालय में आयोजित शहीद दिवस की प्रस्तुत सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो लोग शहीद दिवस की रैली को लेकर शिकायतें करते हैं, मेरा उनसे सवाल है कि वे लोग केंद्रीय नेताओं की सभाओं को लेकर ऐसी शिकायतें क्यों नहीं करते? उन्होंने कहा कि जो लोग तृणमूल में ही अलग-अलग कैंप की अफवाहें फैलाते हैं, उन्हें सीधे कहता हूं कि यहां सिर्फ एक कैंप है और वह है ममता बनर्जी कैंप और मैं इस कैंप के साथ ही हमेशा खड़ा रहूंगा। इस दिन उत्तर 24 परगना जिला तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ की ओर से एक रैली भी निकाली गयी। सभा व रैली में तृणमूल के मुख्य सचेतक निर्मल घोष, उत्तर 24 परगना जिला तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के चेयरमैन अशोक शर्मा, दमदम-बैरकपुर जिला तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अमित गुप्ता, बारासात तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ की अध्यक्ष पुष्पिता शर्मा, बनगांव जिला तृणमूल हिंदी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केके मिश्रा सहित अन्य नेताओं व कर्मियों ने शहीद दिवस में भारी संख्या में लोगों से शामिल होने और शहीदों के प्रति श्रद्धाजंलि देने का आह्वान किया।