बांग्लाभाषी लोगों पर हुए अत्याचार पर चुप्पी क्यों?

पीएम मोदी से तृणमूल का सवाल
मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य
मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य
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कोलकाता: दूसरे राज्यों में बंगालियों पर हो रहे अत्याचार और भेदभाव को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा सवाल उठाया है। पार्टी ने केंद्र से स्पष्ट जवाब मांगा है कि क्या भारतीय संविधान के तहत भाषाई अधिकारों की रक्षा नहीं की जाएगी? शुक्रवार को दुर्गापुर में प्रधानमंत्री ने जहां घुसपैठ के मुद्दे पर तृणमूल को आड़े हाथों लिया, वहीं टीएमसी ने आरोप लगाया कि मोदी बंगालियों की सुरक्षा और गरिमा के सवाल पर चुप्पी साधे हुए हैं।

प्रधानमंत्री देश को विभाजित करने वाली राजनीति कर रहे हैं

इस दिन 'पुश बैक' मुद्दे पर पीएम मोदी ने जनसभा में कहा था कि तृणमूल ने अपने हित में बंगाल की गरिमा को कुचल दिया है। घुसपैठियों को बचाने के लिए टीएमसी साजिश कर रही है। जो भारत के नागरिक नहीं हैं, उनके खिलाफ संविधान के तहत कार्रवाई होगी। ये मोदी की गारंटी है। इस बयान पर पलटवार करते हुए तृणमूल नेता और मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, प्रधानमंत्री बंगाल में खड़े होकर घुसपैठ की बात करते हैं, लेकिन बंगालियों पर हो रहे अत्याचार पर एक शब्द नहीं कहते। उन्होंने कहा कि गुजरात के सूरत में दुकानों से सिर्फ इसलिए जबरन नामपट्ट हटवाए गए क्योंकि वे बांग्ला में लिखे थे। क्या बंगाली अब भारत में कहीं नहीं रह सकते? उन्होंने एनआरसी का हवाला देते हुए पूछा कि 19 लाख लोगों को बाहर क्यों किया गया? राजबंशी समुदाय को भी सिर्फ इसलिए बेघर किया गया क्योंकि वे बांग्ला बोलते हैं। तृणमूल का आरोप है कि प्रधानमंत्री देश को विभाजित करने वाली राजनीति कर रहे हैं और संविधान की भावना के विरुद्ध जा रहे हैं। बंगाल में डेढ़ करोड़ प्रवासी मजदूर हैं। वे दूसरे राज्यों से आए हैं! मुख्यमंत्री ने कहा, हर किसी को किसी भी राज्य में रहने का अधिकार है। और आप उनसे यही अधिकार छीन रहे हैं।

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