

कोलकाता: ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस 'ऑपरेशन सिंदूर' के संबंध में केंद्र सरकार की कूटनीतिक पहल में भाग नहीं लेगी। वरिष्ठ तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने शनिवार को कहा कि वे स्वास्थ्य संबंधी कारणों से 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद विभिन्न देशों में भेजे जा रहे सरकार के प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं हो पाएंगे। दरअसल, पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में 7 मई को शुरू किये गये 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत सरकार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कड़ा संदेश देने के लिए बड़ा कूटनीतिक कदम उठाने जा रही है।
आतंकवाद के खिलाफ 'शून्य' सहिष्णुता का संदेश
सरकार ने घोषणा की है कि वह आतंकवाद के खिलाफ 'शून्य' सहिष्णुता के संदेश को पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों सहित प्रमुख साझेदार देशों में 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजेगी। इसका लक्ष्य वैश्विक जनमत को इसके बारे में बतलाना और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध कूटनीतिक दबाव बढ़ाना है। सुदीप भी इस प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इस संबंध में तृणमूल संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने बताया कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार की रात उन्हें फोन पर संसदीय दल के अमेरिका और ब्रिटेन दौरे के बारे में जानकारी दी। शुक्रवार की सुबह विदेश मंत्रालय ने भी उनसे संपर्क किया। उन्होंने कहा कि शारीरिक अस्वस्थता और अल्प सूचना के कारण वे इस दौरे पर नहीं जा सकेंगे। उन्होंने पार्टी नेता ममता बनर्जी को भी इस मामले की जानकारी दी जिसके बाद सीएम ममता भी इस पर सहमत हो गईं।
भाजपा के मजबूत 'हिंदुत्व' रुख को लगा झटका
हालाँकि, यह भी ज्ञात है कि इसके पीछे एक और कहानी है। तृणमूल सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार का यह प्रयास अपनी बेचैनी छिपाने की एक राजनीतिक चाल के अलावा और कुछ नहीं है। जिस तरह से सरकार को 'अमेरिकी दबाव' के तहत युद्ध विराम के लिए जल्द सहमत होना पड़ा, उससे उनके मजबूत 'हिंदुत्व' रुख को झटका लगा है। तृणमूल का यह भी दावा है कि इस यात्रा की योजना कांग्रेस और भाजपा के बीच सहमति के तहत ध्यान आकर्षित करने के लिए बनायी गयी थी। हालांकि, यह स्पष्ट है कि सरकार कांग्रेस की मांग के अनुरूप 'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद का विशेष सत्र नहीं बुलाएगी। टीएमसी खेमे के एक वर्ग के अनुसार, सभी दलों के सांसदों को विदेश भेजना मोदी की चतुराईपूर्ण चाल है। इस तरह देश में उनकी उदारवादी छवि को सामने रखकर वे विपक्ष पर दबाव बनाना चाहते हैं और टीएमसी ऐसा नहीं होने देगी।