क्या सत्ताधारी दल का मशीनरी बन गया है राष्ट्रीय महिला आयोग?

संसदीय समिति के समक्ष तृणमूल सांसद सुष्मिता देव ने लगाया विस्फोटक आरोप
TMC MP Sushmita Dev
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कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने महिला सशक्तीकरण पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह को एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने आयोग की निष्पक्षता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि यह संवैधानिक संस्था अब महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक हितों के लिए काम कर रही है। अपने पत्र में सुष्मिता देव ने हाल के कुछ महिला उत्पीड़न की घटनाओं का उल्लेख किया, जिनमें राष्ट्रीय महिला आयोग की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि असम के तिनसुकिया ज़िले में एक महिला से सामूहिक बलात्कार हुआ और बिहार में एक डॉक्टर को इसलिए पेड़ से बांधकर लोहे की रॉड से पीटा गया क्योंकि वह एक बलात्कारी की माँ का इलाज कर रहे थे। इन दोनों मामलों ने देशभर में सनसनी मचा दी थी, लेकिन फिर भी आयोग ने न तो कोई दौरा किया और न ही जानकारी एकत्र करने की पहल की। इसके विपरीत, पश्चिम बंगाल में अगर कोई घटना होती है, तो आयोग तुरंत सक्रिय हो जाता है। सुष्मिता का कहना है कि इससे स्पष्ट होता है कि आयोग अपनी निष्पक्षता खो चुका है और अब राजनीतिक प्रभाव में काम कर रहा है। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि 2013 में आयोग ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सरकार ने उस पर अमल नहीं किया। 2014 में एक नया विधेयक लाया गया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया। नतीजतन, आज भी आयोग 1990 के पुराने कानून के तहत काम कर रहा है, जिससे वह कोई प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सशक्त और प्रभावशाली आयोग का होना समय की मांग है।

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