जम्मू की जेलों पर आतंकी हमले का खतरा

जम्मू की जेलों पर आतंकी हमले का खतरा

जेल में बंद हैं कई आतंकी
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जम्मू (जे के ब्यूरो) : पहलगाम आतंकी हमले की जांच के बीच जम्मू और कश्मीर में फिर आतंकवादी साजिश का खतरा मंडरा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-श्रीनगर की जेलों पर हमले की खुफिया जानकारी है। इधर, पुंछ में भी सुरक्षाबलों को आतंकवादियों का ठिकाना मिला है, जहां से टिफिन में आईईडी बरामद हुए हैं। फिलहाल, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। खास बात है कि इनमें से कुछ जेलों में बड़े आतंकवादी भी सजा काट रहे हैं। बैसरन पर्यटन स्थल पर 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी के बाद से ही सेना अलर्ट मोड पर है और हमलावरों की तलाश जारी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि जम्मू और कश्मीर की जेलों पर संभावित रूप से आतंकवादी हमला हो सकता है।

इसे लेकर सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि आतंकवादी जम्मू में कोट बलवल जेल और श्रीनगर सेंट्रल जेल को निशाना बना सकते हैं। इन जेलों में बड़े आतंकवादियों से लेकर स्लीपर सेल के सदस्य तक बंद हैं। विशेष बात है कि ये आतंकवादियों को लॉजिस्टिक मदद से लेकर पनाह तक मुहैया कराते थे। खुफिया जानकारी के आधार पर जेलों की सुरक्षा समीक्षा की जा रही है और किसी भी घटना से बचने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि डीजी (सीआईएसएफ) ने हालात की समीक्षा के लिए श्रीनगर में शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की थी।

सन् 2023 में जम्मू और कश्मीर की जेलों को सीआरपीएफ से लेकर सीआईएसएफ को सौंपा गया था। सेना तथा जम्मू और कश्मीर पुलिस को साझा ऑपरेशन में पुंछ के सुरनकोट में आतंकवादियों का ठिकाना मिला है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि तीन आईईडी टिफिन बॉक्स में थे और 2 लोहे की बाल्टियों में थे।

आतंकियों के छिपे होने की आशंका

सूचना के अनुसार, एनआईए सूत्रों ने पहले दावा किया था कि इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकी दक्षिण कश्मीर में छिपे हुए हैं और सक्रिय हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बात की जानकारी है कि क्षेत्र में और भी आतंकवादी छिपे हो सकते हैं। उनका कहना है कि शक जताया जा रहा है कि बैसरन में हुए हमले के दौरान और भी आतंकी दूरी पर मौजूद थे और संभावित रूप से आतंकवादियों को कवर फायर देकर बचाने की कोशिश कर सकते थे।

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