नयी दिल्ली : देश में इस बार ठंड ने समय से पहले दस्तक दे दी है। रिकॉर्ड बारिश के बाद अब तेज ठंड भी पड़ेगी क्योंकि ऊपरी हिमालय का 86 फीसदी हिस्सा समय से दो महीने पहले ही बर्फ से ढंक गया है। पिछले दिनों आये पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) के कारण पूरे हिमालय पर तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस कम बना हुआ है।
'ला नीना' हो रहा सक्रिय
मौसम विज्ञानियों के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ की वजह से ताजा बर्फ फिलहाल पिघल नहीं रही। यह अच्छा संकेत है। दिसंबर में ला नीना सक्रिय हो रहा है। जो प्रशांत महासागर के तापमान के सामान्य से ठंडा होने की एक मौसमी घटना है। इसके कारण भारत में अच्छी बारिश और ज्यादा ठंड पड़ती है। ऊपरी हिमालय यानी 4 हजार फुट से ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में औसत तापमान शून्य से 15 डिग्री (-15° सल्सियस) या उससे भी कम रहता है। ला नीना के कारण उत्तर, मध्य और पूर्वी भागों में औसत तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस तक और गिर सकता है।
मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा ठंड का असर
हिमालयी क्षेत्र जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड ही नहीं मध्य भारत में भी ठंड ने समय से पहले दस्तक दे दी है। उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के ऊपरी हिस्सों पर पहाड़ों पर बर्फ जमने लगी है। यही स्थति सिखों के पवित्र स्थल हेमकुंड साहिब की है, जहां अभी से एक फुट तक बर्फ जम चुकी है। मध्य प्रदेश के भोपाल में न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ, जो सामान्य से 3.6 डिग्री सेल्सियस कम है। भोपाल में यह तापमान पिछले 26 साल में अक्टूबर के पहले पखवाड़े में तीसरी बार इतना कम रिकॉर्ड हुआ है। राजस्थान में भी सीकर में रात का न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रिकॉर्ड हुआ।
हिमालय पर असामान्य बर्फबारी
मौसम विज्ञानी इस बदलाव को जलवायु के लिए अच्छा संकेत मान रहे है। उनका कहना है कि ताजा बर्फबारी ने ग्लेशियरों की सेहत दुरुस्त होने के भी संकेत दिए हैं। हिमालय पर तापमान कम होने के चलते इस बार बर्फ पिघल नहीं रही। इससे ग्लेशियर 5 साल के लिए रिचार्ज हो जायेंगे। पूरे उत्तर भारत की नदियों के स्रोत नहीं सूखेंगे। सिक्किम, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल से लेकर नेपाल तक पूरे उच्च हिमालय पर सफेद बर्फ की चादर बिछी हुई है। बर्फ का कैचमेंट एरिया भी बढ़ गया है। इसी वजह से मध्य और निम्न हिमालयी क्षेत्रों व मैदानों में अक्टूबर से ही पारा गिरने लगा है।
वैश्विक तापमान का रुख : 122 साल में 0.99 डिग्री बढ़ा, अब घट रहा
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि भारतीय उपमहाद्वीप का औसत सतही तापमान पिछले 122 सालों में 0.99 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है लेकिन 2025 के आखिर तक यह वृद्धि अस्थायी रूप से उलट जायेगी क्योंकि ‘ला नीना’ के कारण वैश्विक औसत तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की संभावना है।