

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह ने रोहंगियों को म्यांमार भेजे जाने पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। इस बाबत दायर पीटिशन में आरोप लगाया गया है कि महिलाओं और बच्चों सहित 43 रोहंगियों को म्यांमार भेजने के लिए अंडमान लाया गया है। बेंच ने पीटिशनर को फटकार लगाते हुए कहा कि देश एक कठिन दौर से गुजर रहा है और आप इस तरह के नाटकीय मुद्दों को कोर्ट में उठा रहे हैं।
जस्टिस सूर्यकांत के बेंच ने पीटिशनर मो. इस्माइल और अन्य द्वारा पेश किए गए विषय वस्तु की प्रमाणिकता पर भी सवाल उठाया। स्टे के सवाल पर बेंच ने इस तरह की राहत देने से कोर्ट ने पूर्व में इनकार किया है। बेंच ने कहा कि पीटिशनर ने जिन तथ्यों का हवाला दिया है वे लगता है सोशल मीडिया से लिए गए हैं। रोहंगियों को समुद्र में फेंकना एक महज आरोप भर है। इसके पक्ष में सुबूत कहां है आप के पास। पीटिशनर की रोहंगियों के साथ फोन पर हुई बातचीत की भी कोई पुष्टि नहीं की गई है। बेंच ने कहा कि एक मामले में तो फोन झारखंड के जामतारा से किए गए थे और कहा गया कि ये अमरीका, ब्रिटेन और कनाडा से आए हैं। बहरहाल बेंच ने एडवोकेट से कहा कि पीटिशन की कापी अटार्नी जनरल और सालिसिटर जनरल के कार्यालय में भेज दे ताकि वे इसपर जवाब दे सकें। बेंच ने मामले की सुनवायी के लिए 31 जुलाई की तारीख तय कर दी।