

नई दिल्ली - राजस्थान के कुछ सरकारी स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में उर्दू की जगह संस्कृत को शामिल किए जाने के आदेश पर विवाद हो गया है। शिक्षा विभाग ने हाल में जयपुर के महात्मा गांधी सरकारी स्कूल को तीसरी भाषा के रूप में उर्दू पढ़ाने वाली कक्षाओं को बंद करने और इसे एक विकल्प के रूप में शुरू करने का आदेश जारी किया था। कुछ दिनों बाद बीकानेर के एक सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय को भी तीसरी भाषा को बदलने के लिए इसी तरह का आदेश दिया गया।
क्या कहा गृह राज्य मंत्री ने ?
इन दोनों आदेशों को लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी के बीच सोमवार को गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि पिछली सरकार ने संस्कृत शिक्षकों को हटाकर उर्दू के शिक्षक भर्ती किए। बेढम ने सोमवार को भरतपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ''पिछली (कांग्रेस) सरकार ने संस्कृत शिक्षकों को हटाकर उनकी जगह उर्दू शिक्षकों को नियुक्त किया था। अब हम उर्दू नहीं जानते और कोई भी उस विषय को पढ़ता भी नहीं है, इसलिए हम उर्दू शिक्षकों के पदों को समाप्त करेंगे और यहां लोगों को जिस तरह की शिक्षा चाहिए, वह प्रदान करेंगे।''
बयान को लेकर मच रहा है हल्ला
यह बयान सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ। राजस्थान के उर्दू शिक्षक संघ ने मंत्री की टिप्पणी को निराधार और गैरजिम्मेदाराना बताया। उर्दू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा, ''यह कहना गलत है कि पिछली कांग्रेस सरकार ने संस्कृत शिक्षकों की जगह उर्दू शिक्षकों को नियुक्त किया था।''
क्या है असल वजह ?
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निदेशक आशीष मोदी ने कहा कि यह सभी स्कूलों के लिए एक समान आदेश नहीं है। उन्होंने कहा, ''यह एक समान आदेश नहीं है। बीकानेर के नापासर के एक सरकारी स्कूल में एक छात्र को छोड़कर कोई भी तीसरी भाषा के रूप में उर्दू नहीं पढ़ता है। यही कारण है कि इसे बंद किया गया।''