बजने वाली थी शहनाई, तभी पहुंच गए जवान

BSF और पुलिस की सजगता से रुका बाल विवाह
The wedding music was about to start when the security forces arrived; the BSF and police stopped the child marriage.
सांकेतिक फोटो
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​निधि , सन्मार्ग संवाददाता

बशीरहाट: बशीरहाट के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने एक बार फिर मानवीयता और कानून की रक्षा की मिसाल पेश की है। स्वरूपनगर थाना क्षेत्र के उत्तर भदौरिया गांव में होने जा रहे एक बाल विवाह को ऐन वक्त पर रोककर सुरक्षा बलों ने एक नाबालिग बच्ची के भविष्य को अंधकार में जाने से बचा लिया। इस संयुक्त ऑपरेशन में BSF के साथ स्थानीय पुलिस और एक स्वयंसेवी संगठन (NGO) की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

ऐन वक्त पर पड़ा छापा

मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर भदौरिया गांव में एक 18 वर्षीय युवक और एक नाबालिग लड़की का विवाह तय हुआ था। घर में उत्सव का माहौल था, मेहमान आ चुके थे और शादी के कार्ड तक बांटे जा चुके थे। भोजन की तैयारी और विवाह की रस्में शुरू होने ही वाली थीं कि तभी BSF की 102वीं बटालियन की 'एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट' (AHTU) को गुप्त सूचना मिली। घोजाडांगा के हेड कांस्टेबल दिलीप स्वाइन, राम पाल, कांस्टेबल आदित्य चौधरी और सीपू सतपथी की टीम ने बिना समय गंवाए स्थानीय स्वरूपनगर थाने को सूचित किया।

प्रशासन की सख्त कार्रवाई और परामर्श

सूचना मिलते ही स्वरूपनगर थाने के प्रभारी अरिंदम हालदार के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम और कोलकाता के एक स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधि मौके पर पहुंच गए। सुरक्षा बलों और पुलिस को अचानक दरवाजे पर देखकर परिवारों में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने पाया कि लड़की अभी नाबालिग है, जो कानूनन विवाह के योग्य नहीं है।

प्रशासनिक अधिकारियों ने दोनों परिवारों को एक साथ बैठाकर बाल विवाह के गंभीर कानूनी परिणामों और स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में विस्तार से समझाया। लंबी चर्चा के बाद, दूल्हा और दुल्हन दोनों के पिताओं को अपनी गलती का एहसास हुआ। प्रशासन ने दोनों पक्षों से लिखित आश्वासन लिया कि जब तक लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की आयु 18 वर्ष नहीं हो जाती, तब तक उनका विवाह नहीं किया जाएगा।

सामाजिक सतर्कता का संदेश

सीमावर्ती और ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर पुलिस और प्रशासन की नजरों से बचकर नाबालिग बच्चों की शादियां कर दी जाती हैं, जिससे कम उम्र में ही उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है। स्थानीय निवासियों ने BSF और पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई की सराहना की है। ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षा बलों की इस सतर्कता से न केवल एक बच्ची का बचपन बच गया, बल्कि समाज में बाल विवाह के खिलाफ एक कड़ा संदेश भी गया है।

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