

वॉशिंगटनः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नौसेना के लिए एक नए एवं विशाल युद्धपोत ‘‘बैटलशिप’’ के निर्माण की एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। यह योजना उनकी व्यापक परिकल्पना ‘‘गोल्डन फ्लीट’’ का हिस्सा है। अमेरिका के पास पहले ही दुनिया में सबसे अधिक विमानवाहक पोत हैं जिनकी संख्या 11 है।
फ्लोरिडा के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में इस योजना की घोषणा करते हुए ट्रंप ने दावा किया कि ये जहाज अब तक बनाए गए किसी भी युद्धपोत से ‘‘सबसे तेज, सबसे बड़े और सौ गुना अधिक शक्तिशाली’’ होगा।
परमाणु हथियारों से लैस होगा यूएसएस डिफायंट
ट्रंप के अनुसार, इस श्रेणी का पहला जहाज ‘यूएसएस डिफायंट’ कहलाएगा। यह द्वितीय विश्व युद्ध काल के आयोवा-श्रेणी के युद्धपोतों से भी लंबा और बड़ा होगा तथा इसमें हाइपरसोनिक मिसाइल, परमाणु क्रूज मिसाइल, रेल गन और उच्च-शक्ति वाले लेज़र जैसे हथियार लगाए जाएंगे, जिन पर नौसेना अभी विभिन्न चरणों में काम कर रही है।
यह घोषणा ऐसे समय आई है जब नौसेना ने हाल में लागत और देरी के कारण एक छोटे युद्धपोत की परियोजना रद्द कर दी थी। साथ ही फोर्ड-श्रेणी के विमानवाहक पोत और कोलंबिया-श्रेणी की पनडुब्बियों जैसी कई नयी परियोजनाएं भी समय से पीछे चल रही हैं।
अमेरिका के पास दुनिया सबसे ज्यादा विमानवाहक पोत
अमेरिकी नौसेना को दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना कहा जाता है, खासकर इसके जहाज़ों की संख्या, टन क्षमता और वैश्विक पहुंच के कारण। इसके सक्रिय सैन्य कर्मी लगभग 3.4 लाख हैं, जबकि रिजर्व कर्मी की लगभग 1 लाख हैं। कुल सैन्य बल लगभग 4.4 लाख से अधिक है। अमेरिक के पास लगभग 300 युद्धपोत हैं जिनमे एयरक्राफ्ट कैरियर 11 हैं। पनडुब्बियों की संख्या लगभग 70 हैं, जिनमें अधिकतर परमाणु-संचालित हैं। वहीं डिस्ट्रॉयर और क्रूजर लगभग 90 हैं।
चीन तेजी बढ़ा रहा नौसेना की ताकत
अमेरिका को दरअसल समुद्र में चीन से कड़ा मुकाबला मिल रहा है क्योंकि चीन बड़ी तेजी से अपनी नौसेना का आकार बढ़ा है। युद्धपोतों की संख्या बढ़ा रहा है। चीन के पास 350 से अधिक युद्धपोत हैं जो अमेरिका से भी ज्यादा हैं। हालांकि उसके पास विमानवाहक पोतों की संख्या अभी मात्र दो है और तीसरे का निर्माण जारी है। चीन के पास अभी 60 पनडुब्बियां हैं।